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वार्ड 1 का आरक्षण मामला: विवाद पर हाईकोर्ट के आदेश, चीफ सेक्रेटरी दे स्पी¨कग ऑर्डर

अश्विनी शर्मा, करनाल वार्ड को एससी वर्ग के लिए आरक्षित करने के मामले में एक बार फिर से पं

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 02:25 AM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 02:25 AM (IST)
वार्ड 1 का आरक्षण मामला: विवाद पर हाईकोर्ट के आदेश, चीफ सेक्रेटरी दे स्पी¨कग ऑर्डर
वार्ड 1 का आरक्षण मामला: विवाद पर हाईकोर्ट के आदेश, चीफ सेक्रेटरी दे स्पी¨कग ऑर्डर

अश्विनी शर्मा, करनाल

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वार्ड को एससी वर्ग के लिए आरक्षित करने के मामले में एक बार फिर से पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पी¨कग आर्डर पास करने के निर्देश दिए हैं। चीफ सेक्रेटरी डीएस ढेसी याचिकाकर्ता की अपील सुनेंगे। इससे पहले कोर्ट के आदेश पर 23 अक्टूबर को डीसी डॉ. आदित्य दहिया ने सुनवाई की थी। तब उन्होंने याचिकाकर्ता को कहा था कि आरक्षण में फेरबदल की उनके पास पावर नहीं है। इसके बाद याचिकाकर्ता दोबारा से कोर्ट पहुंचा। उन्होंने कहा कि वार्डबंदी के नियमों की अनदेखी हुई है। स्थानीय स्तर भी उसके तर्क को सुना नहीं जा रहा है। इस वजह से उसे हाईकोर्ट जाना पड़ रहा है। आरक्षण में यह है पेंच

इंदिरा कॉलोनी को वार्ड एक में शामिल किया गया। इस वजह से इस वार्ड में एससी वर्ग के मतदाता बढ़ गए। इसे आधार बनाकर वार्ड को एससी वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया गया। याचिकाकर्ता बसंत विहार निवासी भूपेंद्र ¨सह पोसवाल ने अपने वकील प्रवीण पोसवाल के माध्यम से चैलेंज किया। उनका कहना है कि नियमों की अनदेखी हुई है। तर्क दिया कि वार्डबंदी की नोटिफिकेशन में इंदिरा कॉलोनी वार्ड 20 में शामिल थी। बाद में इसमें फेरबदल कर इस कॉलोनी की जनसंख्या को वार्ड एक में मर्ज कर लिया। चीफ सेक्रेटरी से इंसाफ की उम्मीद

याचिकाकर्ता ने बताया कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि चीफ सेक्रेटरी उनके तर्क को सुनकर इंसाफ करेंगे। उसका यह भी कहना है कि पानीपत की वार्डबंदी में भी चीफ सेक्रेटरी ने स्पी¨कग आर्डर दिया था। इसमें भी आपत्ति जताने वालों की बात को सुनकर वार्डबंदी को ठीक करने के निर्देश दिए। वह भी बस यही कह रहे हैं कि जब इंदिरा कॉलोनी वार्ड 20 में शामिल थी, उसे अचानक ही वार्ड एक में शामिल कैसे कर लिया? आखिर इसका आधार क्या है? यूं समझें आरक्षण का सियासी गणित

इंदिरा कॉलोनी की 1375 जनसंख्या वार्ड एक में होने से एससी श्रेणी की जनसंख्या 5985 बन जाती है। एससी की ज्यादा जनसंख्या होने से यह वार्ड एससी के लिए आरक्षित हो जाता है। अब यदि इंदिरा कॉलोनी की जनसंख्या वार्ड एक से हटती तो एससी श्रेणी की जनसंख्या घटकर 4610 रह जाती है। तब वार्ड बीसी के लिए आरक्षित हो सकता है। इस समय बीसी श्रेणी के लिए वार्ड 20 आरक्षित है। इस वार्ड में बीसी श्रेणी की जनसंख्या 9156 है। तुलनात्मक तौर पर वार्ड एक में वार्ड 20 के मुकाबले बीसी श्रेणी के 62 लोग ज्यादा है। इस तरह से वार्ड नंबर एक बीसी श्रेणी के लिए आरक्षित होगा। इसके चलते वार्ड 20 बीसी श्रेणी के आरक्षण से बाहर आकर सामान्य श्रेणी में आ जाएगा।

इस तरह से चला शह व मात का खेल

एडवोकेट प्रवीण पोसवाल ने बताया कि वार्डबंदी फाइनल होने के बाद भी वार्ड नंबर दो के पूर्व एमसी बल¨वद्र बराड़ की आपत्ति स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक ने जून में दर्ज की थी। जबकि आपत्ति दर्ज करने का समय 20 अप्रैल तक था। इसके बाद याचिकाकर्ता भूपेंद्र ¨सह पोसवाल भी निदेशक के पास थे। उन्होंने 11 जून को नोटिस देकर कहा कि समयसीमा के बाद आपत्ति दर्ज नहीं होनी चाहिए। निदेशक ने नोटिस पर ध्यान न देकर बल¨वद्र की आपत्ति मान ली। इस पर सुनवाई करते हुए इंदिरा कॉलोनी को वार्ड एक में कर दिया। वार्डबंदी के नोटिफिकेशन में भी इसे इसी वार्ड में दर्शाया गया था।


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