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मछली पालन के साथ-साथ जैविक खेती को बढ़ावा

फिशमैन के नाम से ख्याति प्राप्त कर चुके किसान सुल्तान सिंह मछली पालन के साथ-साथ जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे हैं तथा इसे अन्य किसानों को भी प्रेरणा मिल रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 08:55 AM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 08:55 AM (IST)
मछली पालन के साथ-साथ जैविक खेती को बढ़ावा
मछली पालन के साथ-साथ जैविक खेती को बढ़ावा

संवाद सहयोगी, तरावड़ी : फिशमैन के नाम से ख्याति प्राप्त कर चुके किसान सुल्तान सिंह मछली पालन के साथ-साथ जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे हैं तथा इसे अन्य किसानों को भी प्रेरणा मिल रही है। आज के समय में सब्जियों को तैयार करने में प्रयोग होने वाली दवा के चलते इसका सीधा असर मानव शरीर पर पड़ता है लेकिन इससे परे हटकर सुल्तान सिंह मछली पालन के साथ-साथ जैविक खेती को बढ़ावा देने में लगे हैं।

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गांव ऐबली के किसान विजय कुमार ने दो एकड़ में बने मछली के तालाब के चारों तरफ पेठा, अरहर दाल एवं हल्दी की खेती की है जिसे देखने के लिए दूर-दूर से किसान आ रहे हैं। लोग इस विधि के बारे में जानकारी भी प्राप्त कर रहे हैं।

सुल्तान सिंह ने बताया कि मछलियों के टैंक से निकलने वाला पानी सब्जियों के लिए खासकर बेल वाली सब्जियों के लिए लाभकारी हैं। पानी में भरपूर मात्रा में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो सब्जियों के लिए प्रभावी होते हैं। मछली मल में अमोनिया, कार्बन, नाइट्रोजन के अलावा अन्य कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं। बेल से 12 से 15 किलोग्राम का पेठा उतर रहा है। एक्वापोनिक विधि

किसान सुल्तान सिंह के बेटे नीरज चौधरी ने बताया कि जैविक खेती आज के समय में अत्यंत जरूरी हो गई है तथा सब्जियों में प्रयोग होने वाली दवा का असर मानव शरीर पर पड़ता है। इसलिए आज के समय में जैविक खेती का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इसी के चलते हमने में भी अपने फार्म पर एक्वापोनिक विधि से खेती करने का तरीका अपनाया है तथा यह विधि काफी कारगर भी है। इसमें किसान मछली उत्पादन के साथ-साथ खेती करके किसान दोगुना मुनाफा कमा सकता है। क्योंकि इस खेती में ना पानी एवं ना ही दवाई की जरूरत पड़ती। मछली के तालाब में नीचे मछली तथा ऊपर सब्जी की खेती होती है तथा जो हम मछलियों को खाना डालते हैं उसके बाद तालाब में मछली से निकलने वाले मल से ही सब्जियों के पौधों को पोषक तत्व मिलते हैं।


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