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अब किए जा रहे जीत के दावे

जैसे-जैसे मतगणना की तारीख नजदीक आ रही है प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 May 2019 07:13 AM (IST)Updated: Mon, 20 May 2019 07:13 AM (IST)
अब किए जा रहे जीत के दावे
अब किए जा रहे जीत के दावे

मनोज ठाकुर, करनाल : जैसे जैसे मतगणना की तिथि नजदीकी आती जा रही है, वैसे वैसे लोग अपनी अपनी राय बनाने में जुट चुके हैं। अलबत्ता अलग अलग दलों के समर्थक अपनी अपनी जीत की ताल ठोकते हुए घूम रहे हैं। ऐसे ही दो समर्थकों से लॉयर्स चैंबर कांप्लेक्स में मुलाकात हो गई। दोनों अलग अलग दलों के समर्थक। इनमें से एक पंडित जी और एक वकील साहब। दोनों में जीत को लेकर फिर बहस छिड़ गई। पंडित जी ने कहा कि वकील साहब हमारे वाले का पलड़ा भारी है। ग्रहों की दशा से स्पष्ट है कि जीत इस बार कमल की ओर ही आगे बढ़ रही है। बस अब नतीजों की औपचारिकता होनी शेष है। हम तो अभी से जश्न मना रहे हैं। वकील साहब ने तुरंत टोका और कहा कि जनाब अभी दिल्ली दूर है। आपकी जीत इतनी भी आसान नहीं है। हम भी ग्राउंड से रिपोर्ट ले रहे हैं। खैर देखते रहिये 23 मई को पता चल ही जाएगा कि आपके ग्रहों की चाल किस ओर जा रही है। काम के बोझ तले ही दब गए थे

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मतदान के दिन हर अधिकारी और कर्मचारी की ड्यूटी फिक्स थी। किसने क्या काम करना है और कैसे करना है। इसके लिए लगातार बैठकों का दौर चला। लेकिन चुनाव से जुड़े एक अधिकारी इस कदर काम में दब गए कि वह समय पर आंकड़े भी नहीं जुटा पाए कि कहां कितना मतदान हुआ। उनसे बातचीत हुई तो कहने लगे कि कर्मचारी कम थे और काम ज्यादा। इसलिए समय पर आंकड़े नहीं जुटा पाए। अब जनाब जब कर्मचारी कम थे तो यह बात पहले उच्चाधिकारियों को बतानी थी। ऐसी कोई समस्या ही नहीं थी कि अतिरक्त कर्मचारियों का प्रबंधन नहीं होता। यह तो एक तरह से काम से बचने का बहाना है कि कर्मचारी कम थे।

ये जनाब वोट कम मांग रहे थे, नाश्ता ज्यादा कर रहे थे

नगर निगम में कुछ लोग बतिया रहे थे कि एक प्रत्याशी को पहले ही टिकट मिलने में देरी हुई। ऊपर से उनका चुनाव प्रचार भी बेहद आहिस्ता उठा। इसी वजह से वह उतनी पकड़ नहीं बना पाए, जितनी बना सकते थे। एक कहने लगा कि अजी मैंने देखा था कि यह जनाब समर्थकों के घर दोपहर 11 बजे तक तो नाश्ता करते रहते थे, गांवों और शहर में वोट मांगने कब जाते। चुनाव प्रचार पर ध्यान नहीं देने की वजह से बहुतेरे उनसे नाराज भी है। पार्टी के लोग भी यह बात अब मानने लगे हैं कि वह अपने चुनाव के प्रति गंभीर नहीं रहे। इसमें एक सज्जन ने कहा कि मित्रों चिता क्यों करते हो, परिणाम आने वाला है। पता चल जाएगा कि कितनी मेहनत की थी।

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