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डेढ़ साल से रोडवेज के बेड़े में शामिल नहीं एक भी बस

इस समय करनाल में कुल 166 बसें ही बेड़े में हैं जिसमें से भी 7 से 8 बसें वर्कशॉप के अंदर खड़ी रहती हैं। इनमें से भी कुछ बसें कंडम हो चुकी हैं जो रिटायर की जानी हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 08:30 AM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 08:30 AM (IST)
डेढ़ साल से रोडवेज के बेड़े में शामिल नहीं एक भी बस
डेढ़ साल से रोडवेज के बेड़े में शामिल नहीं एक भी बस

जागरण संवाददाता, करनाल : सीएम सिटी में भी हरियाणा रोडवेज के बेड़े के हालात चिताजनक बने हुए हैं। पिछले डेढ़ साल में हरियाणा राज्य परिवहन करनाल के बेड़े में एक भी रोडवेज की नई बस शामिल नहीं हुई, बल्कि 16 रिटायर हो गई हैं। इसका असर भी देखने को मिला। बसें कम होने से गांवों में इनकी सर्विस कम हो गई, विद्यार्थियों व ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने कई बार यह समस्या आलाधिकारियों व सीएम के समक्ष रखी थी। हालांकि इस मुद्दे का हल निकालने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन नहीं हुआ। इस समय करनाल में कुल 166 बसें ही बेड़े में हैं, जिसमें से भी 7 से 8 बसें वर्कशॉप के अंदर खड़ी रहती हैं। इनमें से भी कुछ बसें कंडम हो चुकी हैं, जो रिटायर की जानी हैं।

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कंडम बसों को दौड़ाया जा रहा

करनाल डिपो के बेड़े में कई ऐसी बसे हैं, जो कंडम हालात में भी सड़कों पर दौड़ रही हैं। बेड़े में बसों की कमी होने के कारण कंडम बसों को कामचलाऊ तौर पर ठीक करा इन्हें दौड़ाया जा रहा है। परिवहन विभाग की यह दिक्कत किसी से छिपी नहीं है। बसें ठीक नहीं होने के कारण कई बार बीच सड़क पर ही रुक जाती हैं, जिससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। दूसरी बस आने तक लोगों को वहीं पर खड़े होकर इंतजार करना पड़ता है।

बसों को ठीक कराने के लिए करनी पड़ती है जद्दोजहद

परिवहन विभाग की कर्मशाला में बसों को ठीक करवाने के लिए काफी गहमा-गहमी करनी पड़ती है। स्टाफ का टोटा होने के कारण बसों का भी काम चलाऊ काम किया जा रहा है। जिस कारण हर तीसरे दिन बसें बीच सड़क ही खराब हुई खड़ी रहती है। बसों की अच्छी मरम्मत करवाने के लिए चालक को अपनी जेब से पैसे खर्चने पड़ते हैं।

निजी बस संचालक करते हैं मनमानी

जिले में निजी बसें भी अधिकतर रूटों पर दौड़ रही हैं। हालांकि प्रदेश सरकार भी पिछले साल 2519 बसों को नए रूटों पर दौड़ाना चाहती थी, लेकिन परिवहन विभाग के कर्मचारियों की ओर से भी लगातार किए जा रहे धरने प्रदर्शन व विरोध को देखते हुए इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। रोडवेज कर्मचारियों का आरोप है कि विभाग का निजीकरण किया जा रहा है।

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जीएम रोडवेज अश्विनी कुमार डोगरा के मुताबिक बेड़े में 240 बसें स्वीकृत हैं, लेकिन लंबे समय से नई बसें शामिल नहीं होने के कारण इनकी संख्या कम हुई है और बसों पर दबाव बढ़ता चला गया। पिछले साल 16 बसें रिटायर की गई थी। सरकार को नई बसों के लिए डिमांड भेजी गई है। चुनाव के बाद उम्मीद है कि नई बसें रोडवेज के बेड़े में शामिल होंगी। फिलहाल जितनी बसें हैं उनसे काम चलाया जा रहा है।


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