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प्रोटिऑमिक्स विज्ञान का जीव विज्ञान में अगला कदम : डॉ. त्रिलोचन महापात्रा

राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान में प्रोटिऑमिक्स फॉर सिस्टम इंटिग्रेटेड बायो-ओमिक्स वन हेल्थ एंड फूड सेफ्टी विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Dec 2019 09:03 AM (IST)Updated: Tue, 03 Dec 2019 09:03 AM (IST)
प्रोटिऑमिक्स विज्ञान का जीव विज्ञान में अगला कदम : डॉ. त्रिलोचन महापात्रा
प्रोटिऑमिक्स विज्ञान का जीव विज्ञान में अगला कदम : डॉ. त्रिलोचन महापात्रा

जागरण संवाददाता, करनाल : राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान में प्रोटिऑमिक्स फॉर सिस्टम इंटिग्रेटेड बायो-ओमिक्स, वन हेल्थ एंड फूड सेफ्टी विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन का मुख्य विषय प्रोटिओमिक्स का मानव एवं पशु स्वास्थ्य तथा खाद्य सुरक्षा के इस्तेमाल पर रहा। इसमें 10 देशों के 400 से अधिक वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन का अन्य उद्देश्य प्रोटिओमिक्स विषय पर अनुसंधान कर रहे विश्वभर के प्रख्यात वक्ताओं, वैज्ञानिकों, चिकित्सकों, उद्योगपतियों, शिक्षाविदों, छात्रों तथा अन्य हितधारकों को एक साथ लाना भी है।

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मुख्यातिथि के तौर पर पहुंचे आइसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) के डीजी डॉ. त्रिलोचन महापात्रा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हाल के वर्षों में कृषि, पशु, मानव एवं पर्यावरण सहित जीवन के सभी पहलुओं में ओमिक्स मंच का महत्वपूर्ण योगदान देखा गया है। उन्होंने कहा कि प्रोटिऑमिक्स विज्ञान को जीव विज्ञान में अगला कदम माना जाता है और इसमें ऊतक या कोशिका में प्रोटीन की पहचान और उनके कार्य, संरचना और संशोधनों का निर्धारण शामिल होता है। डॉ. महापात्रा ने कहा कि प्रोटिओमिक्स के क्षेत्र में मुख्य उद्देश्य हैं। सभी प्रोटीनों की पहचान करना। विभिन्न नमूनों में अंतर प्रोटीन अभिव्यक्ति का विश्लेषण। उनके कार्य और सेलुलर स्थानीयकरण की पहचान और अध्ययन करके प्रोटीन की विशेषता और प्रोटीन इंटरेक्शन नेटवर्क को समझना। उन्होंने बताया कि प्रोटिऑमिक्स का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि नई दवा की खोज, किटाणुओं की प्रतिरोधक क्षमता जानना, बायोमार्कर की खोज आदि को समझने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजनों से विश्व समुदाय में और अधिक निकटता आएगी।

खाद्य सुरक्षा तथा स्वास्थ्य देश के बड़े मुद्दे : डॉ. जेके जेना

आइसीएआर के डिप्टी डायरेक्टर जनरल डॉ. जेके जेना ने कहा कि खाद्य सुरक्षा तथा स्वास्थ्य इस देश के हमेशा से ही मुख्य मुद्दे रहे है। प्रोटिऑमिक्स का उपयोग मानव तथा पशु विज्ञान मे डायग्नोस्टिक क्षेत्र में की जाने की आवश्यकता है। उन्होंने इस मुद्दे पर जोर देते हुए कहा कि प्रोटिओमिक्स की उपयोगिता एक आम आदमी तक पहुंचाने की आवश्यकता है। उन्होंने पशु विज्ञान के क्षेत्र में प्रोटिओमिक्स के संभावित अनुप्रयोगों के कुछ उदाहरण भी दिए जैसे कि गर्मी के तनाव के मार्करों की पहचान, गर्भावस्था का जल्दी पता लगाना आदि।

एक छत के नीचे वैज्ञानिकों के मंथन से मिलेगी सहायता

संस्थान के निदेशक डॉ. आरआरबी सिंह ने कहा कि इस सम्मेलन में प्रोटिऑमिक्स, कोशिका जीव विज्ञान, प्रणाली जीव विज्ञान तथा खाद्य सुरक्षा जैसे व्यापक अंत विषयों पर एक ही छत के नीचे एक ही स्थान पर अपने वैज्ञानिक विचारों का आदान-प्रदान करने में सहायता मिलेगी। हमें प्रोटिऑमिक्स तथा प्रणाली जीव विज्ञान के उभरते क्षेत्रों में विचार-विमर्श से नई दिशा प्राप्त होगी।

प्रोटिओमिक्स सोसायटी के अध्यक्ष प्रो. उत्पल टाटू भारत ने कहा कि इस प्रकार के सम्मेलनों का आयोजन एक वार्षिक कार्यक्रम है। डॉ. एके मोहंती ने कहा कि इस सम्मेलन में 10 से भी अधिक देशों के विभिन्न संगठनों के 400 से भी अधिक वैज्ञानिक, युवा शोधकर्ता एवं छात्र भाग ले रहे हैं। इस सम्मेलन में पोस्टर प्रदर्शन भी किए जाएंगे जहां युवा वैज्ञानिकों को श्रेष्ठ शोधपत्रों व पोस्टरों के लिए पुरस्कृत भी किया जाएगा।


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