263 करोड़ की लागत से बन रही नई सहकारी चीनी मिल, अब गति पकड़ेगा निर्माण कार्य
263 करोड़ रूपये की लागत से बन रही नई सहकारी चीनी मिल करनाल में अब निर्माण कार्य गति पकड़ेगा
जागरण संवाददाता, करनाल : कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन में बेपटरी हुई अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है। इसके तहत शहर के पूर्व में मेरठ रोड स्थित सहकारी चीनी मिल परिसर में 263 करोड़ रुपये की लागत से बन रही नई चीनी मिल में किया जा रहा निर्माण अब गति पकड़ेगा। उपायुक्त एवं चीनी मिल के अध्यक्ष निशांत यादव ने मंगलवार को इसका निरीक्षण किया। उनके साथ चीनी मिल के एमडी प्रद्युमन सिंह व चीफ इंजीनियर विरेन्द्र दहिया के अतिरिक्त मिल का निर्माण कर रही आइजैक कंपनी के परियोजना प्रबंधक केबी अग्रवाल भी थे।
नए मिल के लिए हैवी और छोटी मशीनरी मिल परिसर में आने के बाद इस पर सिविल वर्क शुरू हो गया था, अब सिविल के साथ-साथ मैकेनिकल वर्क को भी आगे बढ़ाने के लिए लेबर की संख्या बढ़ाई जा रही है। इसके लिए उपायुक्त ने कंपनी के इंजीनियरों से कहा कि वे स्थानीय स्तर पर अधिक से अधिक लेबर का इंतजाम करें, ताकि काम तेजी से आगे बढ़े। उपायुक्त ने बताया कि करनाल और इसके आस-पास के किसानों की जीवन रेखा नई सहकारी चीनी मिल का आगामी गन्ना पिराई सीजन के समय ट्रायल किया जाना था, जिसके लिए पुरजोर प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि आधुनिक मशीनरी से युक्त नई मिल प्रतिदिन 3500 टन गन्ने की पिराई करेगा। लेकिन इसमें 3500 से 5000 तक क्षमता बढ़ाने का प्रावधान रहेगा। पुराने सहकारी चीनी मिल की पिराई की क्षमता 1800 टन प्रतिदिन की है। सिविल वर्क के बाद काम होगा चालू
निरीक्षण के दौरान उपायुक्त ने बताया कि वर्तमान में निर्माणाधीन मिल में सिविल वर्क चल रहा है, इसके बाद मैकेनिकल फैबरीकेशन का काम चालू होगा, फिर इन्फ्रास्ट्रक्चर के इरेक्शन वर्क को मुकम्मल करके उसमें इक्विपमेंट यानि उपकरण फिट किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि इसके साथ-साथ टीजी यानि टरबाइन जेनरेटर का काम भी शुरू करने जा रहे हैं, जिससे 18 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा, जो सहकारी चीनी मिल की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ बिजली निगम को सप्लाई की जा सकेगी। उपायुक्त ने कहा कि खास बात यह है कि नए चीनी मिल के निर्माण से कृषि विविधिकरण को बढ़ावा मिलेगा और अधिक से अधिक किसान गन्ने की खेती की ओर उन्मुख होंगे। गन्ना उत्पादकों को दूसरे मिलों में नहीं जाना पड़ेगा, उनका सारा गन्ना यहां आएगा। कैश-क्रॉप होने के कारण उनकी आमदनी में वृद्धि होगी और देश के प्रधानमंत्री का आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा। इंजीनियरों से मांगी टाइम लाइन
निरीक्षण के दौरान उपायुक्त ने निर्माणाधीन इंजीनियरों से टाइम लाइन मांगी और कहा कि करीब एक महीने के बाद वे दोबारा यहां की विजिट कर प्रगति का जायजा लेने आएंगे। उन्होंने सिविल वर्क के साथ-साथ निर्माणाधीन गोदाम और स्टोर के कार्य का भी निरीक्षण किया और निर्देश दिए कि टरबाइन जेनरेटर का काम भी शुरू करवाएं। इसके पश्चात उपायुक्त ने मिल परिसर में ही नगर निगम की ओर से बनाए जा रहे इंटरमीडिएट पम्पिग स्टेशन (आइपीएस) की साइट का भी निरीक्षण किया। नगर निगम के सहायक अभियंता लख्मीचंद राघव को निर्देश दिए कि वे इसके काम को जल्द पूरा करें। बता दें कि इसके बन जाने से डीसी कॉलोनी, कटाबाग और इसके आस-पास के क्षेत्रों का सीवरेज का पानी यहां आएगा, जिसे पंपिग से 50 एमएलडी एसटीपी की मेन लाइन में डाला जाएगा।