देववंती पर रहमत से मन्नतों की बारिश
पवन शर्मा करनाल बिहार के जहानाबाद की देववंती आज असहनीय दर्द से निजात पा चुकी है। उसके
पवन शर्मा, करनाल:
बिहार के जहानाबाद की देववंती आज असहनीय दर्द से निजात पा चुकी है। उसके लिए यह मंजर किसी चमत्कार से कम नहीं। उसे ब्रेन टयूमर से तो मुक्ति मिली ही साथ ही आंखों की रोशनी भी लौट आई। मां को बचाने के लिए चारों बेटों ने जिस घर को गिरवी रखा वह भी वापस मिला। दर्द को बयां करती देववंती भावुक हो कहती बचुआ, शायद किसी जन्म का पुण्य काम आ गया। भगवान ने इतनी खुशी बरसाई कि रोने को मन करता है। यही खुशी भगवान हर मददगार को बख्शे।
50 वर्षीय देववंती की जिंदगी में बहुत उतार-चढ़ाव हैं। जहानाबाद के रामगढ़ मुहल्ले की देववंती की एक बेटी भी है। सभी मजदूरी करते हैं और एक साथ पुराने मकान में रहते हैं। करीब दो-ढाई वर्ष पहले देववंदी के सिर में बहुत पीड़ा हुई। जांच के बाद पता लगा कि उन्हें ब्रेन ट्यूमर है। यह सुन पूरे परिवार का कलेजा मुंह को आ गया। पटना से लेकर उत्तराखंड तक इलाज की कोशिश की, लेकिन चार से पांच लाख रुपये के खर्च ने चिता बढ़ा दी। मुसीबत बढ़ती गई और आंखों की रोशनी भी जाती रही। हालत और बिगड़ने लगी। उधर परिवार असहाय नजर आने लगा। इसी बीच वायरल एक वीडियो से उन्हें फिल्म अभिनेता सोनू सूद की ओर से गरीब, असहाय रोगियों की मदद की मुहिम पता लगी। वह इससे टीम सोनू सूद से जुड़े और अंतत: उन्हें करनाल के विर्क अस्पताल में जाने को कहा। यहां न्यूरो सर्जन डा. अश्विनी कुमार से इलाज के बाद आंखों की रोशनी तक लौट आई।
अब देववंती पूर्ण स्वस्थ है और डाक्टर के साथ सोनू सूद और उनकी टीम में शामिल डा. बलबीर विर्क, गोविद अग्रवाल और प्रवेश गाबा को आशीर्वाद देते नहीं थकती। इलाज इंडिया के तहत की मदद
देववंती के बड़े बेटे सुरेश ने बताया कि मां के इलाज के लिए भाई गणेश, दिनेश, महेश और उन्होंने मिलकर पुराना मकान एक लाख रुपये में गिरवी रख दिया। करनाल आने पर जब टीम सोनू सूद को पता लगा तो उन्होंने इस रकम का चेक बनाकर देववंती को सौंप दिया। कोमा में जाने का था खतरा
देववंती के दामाद लाल बाबू ने बताया कि पटना के एक अस्पताल ने सर्जरी में पांच लाख रुपये का खर्च बताने के साथ ही दो टूक कहा कि ऑपरेशन सफल होने की कोई गारंटी नहीं, बल्कि वह कोमा में भी जा सकती है। ऐसे में यहां न केवल सफल सर्जरी हुई, बल्कि उनकी आंखों की रोशनी भी लौट आई।