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रिकॉर्ड रूम में रखे राजस्व व अन्य रिकॉर्ड को डिजिटल कर किया जाएगा मार्डन रिकॉर्ड

डीसी निशांत कुमार यादव ने पुराने व नए दोनों रिकॉर्ड रूम का किया निरीक्षण जिला राजस्व अधिकारी को डिजिटलाइजेशन प्रक्रिया को स्पीड-अप करने के दिए निर्देश।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 06:15 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 06:15 PM (IST)
रिकॉर्ड रूम में रखे राजस्व व अन्य रिकॉर्ड को डिजिटल कर किया जाएगा मार्डन रिकॉर्ड
रिकॉर्ड रूम में रखे राजस्व व अन्य रिकॉर्ड को डिजिटल कर किया जाएगा मार्डन रिकॉर्ड

जागरण संवाददाता, करनाल : डीसी निशांत कुमार यादव ने सोमवार को पुरानी कचहरी स्थित पुराने रिकॉर्ड रूम का निरीक्षण किया और उसमें राजस्व रिकॉर्ड से भरे बस्तों को देखा। इस मौके पर इंद्री के उपमंडलाधीश सुमित सिहाग व जिला राजस्व अधिकारी श्याम लाल भी मौजूद थे। डीसी ने निर्देश दिए कि पुराने रिकॉर्ड को स्कैन करने की जो प्रक्रिया चल रही है। उसमें तेजी लाई जाए, ताकि पुराने रिकॉर्ड को जल्द से जल्द यहां से सेक्टर-12 स्थित लघु सचिवालय के द्वितीय खंड में बने मॉडर्न रिकॉर्ड रूम में शिफ्ट किया जा सके। पुरानी कचहरी स्थल में बना रिकॉर्ड रूम अंग्रेजों के जमाने का है। यहां 1865 से लेकर 1964 तक का राजस्व रिकॉर्ड मौजूद है। 1905 से 31 मार्च 1987 तक का ज्यूडिशियल रिकॉर्ड भी यहां मौजूद बताया गया है। एक अप्रैल 1987 से ज्यूडिशियल रिकॉर्ड, न्यायिक परिसर भवन में शिफ्ट हो गया। करनाल को अंग्रेजों के जमाने से ही जिले का दर्जा प्राप्त था। आजादी के बाद पानीपत, कुरूक्षेत्र व कैथल जिले भी करनाल के ही भाग थे। इन जिलों के राजस्व रिकॉर्ड की बात करें तो, 1959 तक का पानीपत का रिकॉर्ड, 1956 तक का कुरुक्षेत्र और 1957 तक का कैथल जिले का राजस्व अब भी यहां मौजूद है। पुराने रिकॉर्ड की प्रति लेने के लिए लोग यहां आते हैं। डीसी की मंशा है कि रिकॉर्ड रूम की बिल्डिग अति पुरानी हो जाने के कारण इसमें रखे रिकॉर्ड को डिजिटल करके जल्द से जल्द सेक्टर-12 स्थित माडर्न रिकॉर्ड में रख दिया जाए।

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डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत आधुनिक रिकॉर्ड रूम की हुई थी स्थापना-उपायुक्त ने बताया कि बीते वर्ष में मॉडर्न रिकॉर्ड रूम में रिकॉर्ड रखने की व्यवस्था की गई थी। नई व्यवस्था में रिकॉर्ड को स्कैन करके डिजिटल रूप में तैयार किया गया और मूल प्रतियों के रख-रखाव के लिए कपड़े के बंडल या बस्ते की बजाए, स्टील से निर्मित पेटियों में रखा गया है, ताकि वह सुरक्षित बना रहे। पेटियों पर बार कोड भी लगाया गया है, जिससे तुरंत यह पता लगाया जा सकता है कि किस भूमि मालिक के रिकॉर्ड के दस्तावेज किस पेटी में सुरक्षित हैं। रिकॉर्ड रूम में केवल वही कर्मचारी प्रवेश कर सकते हैं, जिनको अधिकृत किया गया है। नई व्यवस्था में रिकॉर्ड के रख-रखाव से गलने और फट जाने की सम्भावना भी नहीं है। भूमि रिकॉर्ड की नकल प्राप्त करने के कार्य में पारदर्शिता आई है।


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