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मजलिस में करबला के शहीदों को याद किया

जिले में इस बार मोहर्रम के दौरान यौमे आशुरा के मौके पर हजरत इमाम हुसैन की याद में ऑनलाइन शहीद ए करबला कान्फ्रेंस के जरिये मजलिसों का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 31 Aug 2020 08:10 AM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2020 08:10 AM (IST)
मजलिस में करबला के शहीदों को याद किया
मजलिस में करबला के शहीदों को याद किया

फोटो 34

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जागरण संवाददाता, करनाल: जिले में इस बार मोहर्रम के दौरान यौमे आशुरा के मौके पर हजरत इमाम हुसैन की याद में ऑनलाइन शहीद-ए-करबला कॉन्फ्रेंस के जरिए मजलिसों का आयोजन किया गया। अलग अलग मजलिसों की सदारत मौलाना अल हाज बरकतुल्लाह खान अमीनी ने की। इस दौरान कुरान की तिलावत के साथ सामूहिक रूपे से सबकी सलामती की दुआ भी की गई।

डा. अजमत उल्लाह खान ने दर्द भरी आवाज में मजलिस को खिताब किया। अल हाज बरकतुल्लाह खान अमीनी ने इस दौरान कहा कि, यह दिन बेहद खास है, जिसे अल्लाह ने बड़ी रहमत और बरकत वाला बताया है। इस्लाम में मोहर्रम की नौ व दस तारीख को रोजा रखने के लिए कहा गया है। आज से 1400 वर्ष पहले करबला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन ने अपने पूरे खानदान व साथियों सहित उस वक्त के जालिम हुक्मरानों के खिलाफ सच्चाई की आवाज बुलंद की थी, जिन्हें शहीद कर दिया गया। उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा। जो कौम अपने शहीदों को भूल जाती हैं, उनका वजूद खत्म हो जाता है। यौमे आशुरा के दिन ही अल्लाह ने जमीन, आसमान, हवा, पानी, इंसान व हर चीज को बनाया।

उन्होंने इस दिन की अहमियत पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डालते हुए नेकियां करने पर जोर दिया। कार्यक्रम की रूपरेखा राज्य हज समिति के मीडिया समन्वयक खुर्शीद आलम ने तैयार की। इस दौरान मास्टर सिमउल्लाह खान, मोहम्मद हाजी वकीलुर्रहमान, अल हाज मौलवी हामिद अली, अल हाज कारी रशीद राव, मौलवी सलीम खान आदि का सहयोग रहा।


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