एमबीबीएस की पढ़ाई छोड़कर बनी थीं आइपीएस आफिसर, कुशल नेतृत्व के बूते बनी अलग छवि
जागरण संवाददाता करनाल कभी डाक्टर बनने का सपना पूरा करने के लिए एमबीबीएस की पढ़ाई श्
जागरण संवाददाता, करनाल : कभी डाक्टर बनने का सपना पूरा करने के लिए एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू की लेकिन इसे छोड़कर पुलिस कैडर चुना और आइपीएस अफसर बन गईं। अपनी कार्यकुशलता से हर उलझन को सुलझाते हुए आगे बढ़ीं और आज एक सख्त पुलिस आफिसर व कुशल नेतृत्व के तौर पर पुलिस विभाग में अपनी छवि बना चुकी हैं। जी हां, जिक्र करनाल रेंज की पुलिस महानिरीक्षक ममता सिंह का है, जिन्हें अपनी कार्यकुशलता के चलते राष्ट्रपति पुलिस पदक मिला है। इससे न केवल वह एक बार फिर चर्चा में हैं बल्कि विभाग में भी खुशी की लहर है। दिन भर उन्हें बधाई देने का सिलसिला चलता रहा।
दूसरे पुलिस अधिकारियों के लिए भी प्रेरणा बन चुकीं 1996 बैच की आईपीएस अफसर ममता सिंह बताती हैं कि उनके पिता के चाचा घमंडी सिंह आर्य देश के ऐसे पहले आईपीएस थे, जिनकी एक एनकाउंटर में मृत्यु हो गई थी। उनकी बहादुरी के किस्सों को सुनकर ही वह पुलिस सेवा की ओर आकर्षित हुईं। बचपन में ममता सिंह डाक्टर बनने की ख्वाहिश रखती थीं लेकिन बाद में पुलिस सेवा में जाना बेहतर समझा। ममता सिंह के पति भी आईपीएस अफसर (1990 बैच) हैं, जो हरियाणा कैडर में ही हैं। उनकी दो बेटियां और एक बेटा है।
--------------------- 12 अप्रैल 2021 में संभाला था करनाल रेंज का कार्यभार
केंद्र से प्रतिनियुक्ति से लौटने के बाद सीएम सिटी करनाल में ममता सिंह ने 12 मई 2021 को करनाल रेंज आइजी के तौर पर कार्यभार संभाला था। इससे पूर्व वे साउथ रेंज रेवाड़ी की आईजी रह चुकी हैं। इसके अलावा पानीपत में बतौर पुलिस अधीक्षक रही ममता सिंह ने अपने कार्यकाल में कई बड़े मामलों को सुलझाया। इनमें चर्चित कोठी कांड का मामला भी शामिल है। इस कांड में कोठी मालकिन जोगिदर कौर की दिनदहाड़े कोर्ट में बदमाशों ने गोली मारकर उस समय हत्या कर दी थी, जब वह इस केस की पैरवी के लिए कोर्ट में अपने अधिवक्ता सतबीर कुंडू के चेंबर में बैठी हुई थी। उस समय यह मामला प्रदेश भर में सुर्खियों में था। --------------
मानव अधिकार आयोग में दे चुकी सेवाएं
एएसपी फरीदाबाद, एडिशनल एसपी अंबाला, एसपी पानीपत, सिरसा व पंचकुला, क्राइम अगेंस्ट वूमेन एवं भोंडसी पुलिस प्रशिक्षण सेंटर में अहम जिम्मेदारियों के अलावा मानव अधिकार आयोग में नवंबर 2005 से 2013 तक वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के अलावा पुलिस विभाग में कई अन्य पदों पर भी आइजी ममता सिंह अपनी सेवाएं दे चुकी हैं। ---------
साइबर व महिला से जुड़े अपराध रोकना प्राथमिकता
पुलिस पदक मिलने पर खुशी जताते हुए आइजी ममता सिंह का कहना है कि अपनी ड्यूटी ईमानदारी व लगन से निभाने का हमेशा प्रयास रहा है। हर किसी को अपने काम में यह करना चाहिए। साइबर व महिलाओं से जुड़े अपराध को रोकना उनकी प्राथमिकता है। बढ़ती तकनीक का फायदा अपराधी भी उठा रहे हैं लेकिन इसे रोकने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाने जरूरी है। यह सरकार की भी प्राथमिकता है। महिलाओं से जुड़े मामलों को लेकर वह पहले भी कार्य करती रही हैं।