संवाद सूत्र, निसिग : करनाल-जींद रोड़ स्थित प्यौंत व पक्काखेडा मोड़ के बीच सात नवंबर को टोल प्लाजा शुरू किया गया था। आवागमन से वाहन चालकों की जेब ढीली होनी शुरू हो गई थी। आसपास के जानकार चालकों ने टोल से बचने का रास्ता निकाल लिया। चालकों को लगभग दो किलोमीटर का सफर अधिक करना पड़ता है। जितने समय में टोल देकर गाड़ी आगे बढ़ती है। टोल बचाकर दूसरे रास्ते से जींद सड़क पर आने में भी लगभग इतना ही समय लगता है।
टोल से बचाने वाले रास्ते की जानकारी रखने वाले चालक गांवों से गुजरने वाली सड़क को ही आवागमन में इस्तेमाल करते हैं और ग्रामीणों की परेशानी बढ़ी है। गांवों से वाहन गुजरने पर ग्रामीणों में हादसों का अंदेशा भी निरंतर बना रहता है। कई बार सड़क पर बड़ा वाहन खराब होने से आवाजाही प्रभावित होती है। उन्हें खेतों में ट्रेक्टर ले जाने में दिक्कत आती है। टोल बचाने के चक्कर में शुक्रवार को प्यौंत गांव में ट्रक फंस गया। ---बाक्स---
गांव में पूरे दिन वाहनों की आवाजाही
प्यौंत निवासी ग्रामीण राजू, रणजीत सिंह, संजू, अमित कुमार, मुनीष शर्मा, प्रवीन कुमार, भीम सिंह, रणधीर सिंह, जसवंत सिंह, धर्मसिंह, ईश्वर सिंह का कहना था कि टोल बचाने के चक्कर में चालक प्यौंत से गुल्लरपुर जाने वाले लिक रोड का इस्तेमाल करते है। करीब दो किलोमीटर लंबीे 12 फुट चौडी सड़क दोनों गांवों को जोड़ती है। पूरा दिन वाहन चलते है। लिक रोड पर वाहनों के कारण ग्रामीणों को खेतों में आने-जाने में परेशानी रहती है। ----बाक्स----
रात दिन हॉर्न व वाहनों की आवाज
क्षेत्रवासी भीम सिंह, रणधीर सिंह के अनुसार गांव से गुजरने वाली सड़क के किनारे लोगों के घर है। उनके बच्चे सड़क पर खेलने के लिए या किसी काम से घर से बाहर निकलते, तो अभिभावकों को उनकी चिता रहती है। कहीं कोई हादसा न हो जाए। उन्हें छोटे बच्चे का अधिक डर सताता है, जो बिना बताए घर से बाहर निकल जाते हैं। सड़क के आसपास बसने वाले ग्रामीणों को रात दिन हॉर्न व वाहनों की आवाज सताती है। छोटी सड़क से ओवरलोडेड वाहन भी गुजरते हैं।
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