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जेजेपी जनाधार ढूंढ़ेगी और इनेलो को बचाना होगा वोट बैंक

करनाल संसदीय क्षेत्र में दो राजनीतिक दलों के जनाधार को परखने के लिहाज से यह चुनाव खासा महत्वपूर्ण हैं। लेकिन अभी ये दोनों दल ही चुनावी परिदृश्य में हस्तक्षेप नहीं कर पा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Apr 2019 01:47 AM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2019 06:26 AM (IST)
जेजेपी जनाधार ढूंढ़ेगी और इनेलो को बचाना होगा वोट बैंक
जेजेपी जनाधार ढूंढ़ेगी और इनेलो को बचाना होगा वोट बैंक

मनोज ठाकुर, करनाल

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करनाल संसदीय क्षेत्र में दो राजनीतिक दलों के जनाधार को परखने के लिहाज से यह चुनाव खासा महत्वपूर्ण हैं। लेकिन अभी ये दोनों दल ही चुनावी परिदृश्य में हस्तक्षेप नहीं कर पा रहे हैं। यही एक वजह है कि करनाल के चुनाव को अब तक भाजपा बनाम कांग्रेस मानकर ही चला जा रहा है। जबकि जेजेपी के लिए करनाल संसदीय क्षेत्र में यह पहली परीक्षा है। जबकि इनेलो करनाल संसदीय क्षेत्र से आज तक एक बार भी जीत दर्ज नहीं कर पाई है। जेजेपी अपने लिए करनाल संसदीय क्षेत्र और उसके तहत आने वाले हलकों में अपनी गुंजाइश की खोज करना चाहेगा। जबकि इनेलो इस चुनाव के बहाने यह जानना चाहेगी कि करनाल संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले हलकों में पहले जितनी पकड़ रही भी या नहीं।

ये चुनाव बताएगा जेजेपी को जमीनी हकीकत

करनाल लोकसभा चुनाव के तहत नौ हलके आते हैं। सभी हलकों में लोकसभा चुनाव के माध्यम से जेजेपी को अपनी जमीनी हकीकत का अहसास होगा। इनेलो छोड़कर जेजेपी में शामिल हुए उन नेताओं के लिए भी यह चुनाव परीक्षा की घड़ी होगा, जो विधानसभा टिकट की दावेदारी इस दल से कर रहे हैं। जेजेपी भी पहली बार लोकसभा चुनाव में उतर रही है। यही से करनाल से उनका चुनावी इतिहास भी शुरू होगा। लिहाजा प्रदेश की राजनीति में वोट बैंक के लिहाज से खुद को एक प्रबल राजनीतिक दल बनाने के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल रहेगा। लेकिन अभी तक करनाल लोकसभा में जेजेपी का कोई प्रबल दावेदार भी सामने नहीं आया। यदि इस चुनाव में इस दल को करनाल की राजनीति में बड़ा कद करना है तो दावेदार भी मजबूत देना होगा।

करनाल में इनेलो के राजनीतिक भविष्य के लिए यह चुनाव अहम

इनेलो के राजनीतिक भविष्य को लेकर भी यह चुनाव अहम साबित होगा। करनाल जिले के तहत आने वाले पांच हलकों में से चार हलकों इंद्री, घरौंडा, नीलोखेड़ी व असंध में खासा प्रभाव रहा है। यहां से पार्टी की टिकट पर नेता चुनाव भी जीतते रहे हैं। लेकिन जेजेपी के उदय के साथ कई नेता और वर्कर इनेलो से अलग हो गए हैं। इसका सीधा असर पार्टी के जनाधार पर पड़ा है। अलबत्ता इन चुनाव में पता चलेगा कि जेजेपी के गठन की वजह से करनाल जिले के तहत आने वाले हलकों में इनेलो का जनाधार कितना रहा है। ताकि वह इसी अनुसार से आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भी अपनी रणनीति को तैयार कर सके। इसके लिए इन चुनाव में भी पार्टी को दमखम दिखाना होगा। लेकिन हाल की परिस्थितियों में देखा जाए तो अभी तक इनेलो चुनावी परिदृश्य में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाई है।


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