जांच टीम के सामने नहीं आ रहे दो पुलिसकर्मी, नहीं मिली डीवीआर
तीन पुलिस कर्मचारियों में से महज एक एएसआइ सतीश कुमार ने शुक्रवार को टीम को बयान दर्ज कराए जबकि सुखदेव और राजपाल फिर टीम के सामने नहीं आए।
जागरण संवाददाता, करनाल : आइटीआइ में पुलिस की बर्बरता मामले में जांच टीम के सामने पेश से होने से दो पुलिस कर्मचारी बच रहे हैं। तीन पुलिस कर्मचारियों में से महज एक एएसआइ सतीश कुमार ने शुक्रवार को टीम को बयान दर्ज कराए, जबकि सुखदेव और राजपाल फिर टीम के सामने नहीं आए। डीवीआर को लेकर भी आइटीआइ स्टाफ के हाथ अभी तक खाली हैं। एसडीएम नरेंद्र मलिक के अनुसार 19 जून को दोनों पक्षों के अलावा दोनों पुलिस कर्मचारियों को भी बयान दर्ज करने के लिए बुलाया गया है।
13 अप्रैल से लटकाई जा रही जांच, पुलिस की मंशा पर उठे सवाल
मुख्यमंत्री के आदेश के बावजूद 13 अप्रैल से शुरू हुई जांच अभी तक पूरी नहीं की जा सकी है। तीन सदस्यीय जांच कमेटी के सदस्य ज्वाइंट डायरेक्टर सुमित सहरावत, प्रिसिपल बलदेव सागवाल, इंस्ट्रक्टर जसविद्र संधु सुबह 11 बजे एसडीएम कार्यालय पहुंचे। पुलिस की तरफ से 11.30 बजे एएसआइ सतीश कुमार ने एसडीएम के समक्ष अपने बयान दर्ज करवाए।
प्रिसिपल बलदेव सागवाल ने बताया कि दो पुलिस कर्मचारियों को जानबूझ कर कमेटी के सामने प्रस्तुत नहीं किया जा रहा। साथ ही डीवीआर उपलब्ध नहीं करवाई जा रही है। पुलिस की तरफ से देरी के कारण जांच लंबित हो रही है। आइटीआइ यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष प्रवीण देशवाल ने बताया किजांच को लेकर पुलिस की मंशा ठीक नहीं है।
हादसे में छात्र की मौत के बाद शुरू हुआ था बवाल
11 अप्रैल को शाम पांच बजे आइटीआइ से छुट्टी के बाद छात्र निकित की बस की चपेट में आने से मौत हो गई थी। हादसे के बाद छात्रों ने रोडवेज के विरोध में प्रदर्शन किया था। अगली सुबह जब आइटीआइ में छात्र पहुंचे तो रोडवेज बसों का चौक पर विरोध करने की ठानी। प्रिसिपल सहित स्टाफ ने कमेटी बनाकर उपायुक्त को समस्या रखने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन छात्र नहीं माने। बाद में विद्यार्थियों ने आइटीआइ चौक पर बसों को रोकने का प्रयास किया तो पुलिस के साथ भिड़ंत हो गई। बवाल में पुलिस ने पथराव के साथ हवाई फायर भी किए। स्थिति काबू में न होते देख पुलिस ने आइटीआइ में प्रवेश कर स्टाफ सदस्यों व कक्षा में बैठे विद्यार्थियों पर जमकर लाठियां बरसाई। पुलिस कर्मी जबरन आइटीआइ से सीसीटीवी की डीवीआर ले गए थे। इस मामले में 13 अप्रैल को मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश दिए थे। हरियाणा सरकार के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी देवेंद्र सिंह भी प्रिसिपल को निष्पक्ष जांच का आश्वासन दे चुके हैं।