बदहाल फायर फाइटिग सिस्टम की एक बार भी जांच नहीं
शहर में चल रहे कोचिग सेंटरो में फायर फाइटिग सिस्टम बदहाल है। हालात यह हैं कि निगम और फायर ब्रिगेड के अधिकारी कभी यह जांचने की जहमत नहीं उठाते कि सुरक्षा इंतजाम पूरे हैं या नहीं। जानकारों का कहना है कि एक बार यदि कोई लाइसेंस ले लेता है तो इसके बाद कोई इस ओर ध्यान नहीं देता।
जागरण संवाददाता करनाल : शहर में चल रहे कोचिग सेंटरो में फायर फाइटिग सिस्टम बदहाल है। हालात यह हैं कि निगम और फायर ब्रिगेड के अधिकारी कभी यह जांचने की जहमत नहीं उठाते कि सुरक्षा इंतजाम पूरे हैं या नहीं। जानकारों का कहना है कि एक बार यदि कोई लाइसेंस ले लेता है तो इसके बाद कोई इस ओर ध्यान नहीं देता। फायर विभाग के अधिकारियों को यह तक पता नहीं है कि आखिरी बार कोचिग सेंटरों में सुरक्षा इंतजाम की जांच कब हुई थी।
हालांकि निगम के एसई रमेश चंद ने बताया कि कॉमर्शियल भवन में यदि कोई कोचिग सेंटर चलाता है तो उसका नक्शा तभी पास किया जाएगा, जब यह सुनिश्चित हो जाए कि वहां तक फायर ब्रिगेड की गाड़ी आसानी से पहुंच जाए। लेकिन दिक्कत यह है कि 90 प्रतिशत कोचिग सेंटर तो किराए के भवनों में चल रहे हैं। कहां हैं खामियां एक
फायर ब्रिगेड विभाग के स्तर पर क्या होना चाहिए
- नियमित जांच होनी चाहिए कि इमरजेंसी में यहां से जल्दी से जल्दी कैसे निकल सकते हैं। आग बुझाने के पर्याप्त उपकरण होने चाहिएं। यह देखा जाना चाहिए कि बिल्डिंग पूरी तरह से सुरक्षित है या नहीं।
हो यह रहा है
शत-प्रतिशत बिल्डिंग की एक बार भी जांच नहीं होती। फायर ब्रिगेड विभाग के कर्मचारी तभी आते हैं, जब आग लग जाए। प्रशासन भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।
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निगम के स्तर पर
निगम के स्तर पर भी बिल्डिंग का नक्शा पास होता है। इसमें प्रावधान है कि यदि आग बुझाने के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं तो इसे पास नहीं किया जाता। नक्शा जमा कराते वक्त ऐसे इंतजाम का दावा होता है। यह होना चाहिए
निगम के अधिकारी मौके पर जाकर इसकी जांच करें। इसके साथ ही समय-समय पर जांच होती रहनी चाहिए। जिससे इंतजाम में कोई खामी हो तो समय रहते दूर कर ली जाए।
हो यह रहा है
नक्शा पास कराते वक्त जो बिल्डिंग दिखायी जाती है, इसमें कुछ समय बाद ही बदलाव कर लिया जाता है। जिससे आपात स्थिति से निपटने के इंतजामों की अनदेखी हो रही है। सूरत की घटना से भी नहीं लिया सबक
हादसा न जगह देखता है न वक्त। कभी भी और कहीं भी हो सकता है। प्रशासन सूरत की घटना से भी सबक लेता नजर नहीं आ रहा है। यही वजह है कि इस घटना के बाद अभी तक एक भी कोचिग सेंटर की जांच के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया, जबकि शहर में 90 प्रतिशत कोचिग सेंटर फायर फाइटिग सिस्टम की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। इसके अलावा आपात स्थिति में सेंटर से निकलने के कोई अतिरिक्त इंतजाम तक नहीं हैं। अभिभावकों से बात की उन्होंने कहा कि वह क्या कर सकते हैं, इस ओर तो प्रशासन को ही ध्यान देना चाहिए। एफएसओ गाड़ी चलाने में व्यस्त
इधर, फायर सेफ्टी ऑफिसर रामपाल ने कहा कि वह गाड़ी चला रहे हैं। इस सिलसिले में आप बाद में बात करें, उनके पास समय नहीं है। लेकिन बड़ी बात यह है कि सूरत जैसा हादसा करनाल में हो गया तो उसके लिए जिम्मेदारी कौन लेगा।