Move to Jagran APP

आइजी साहब! इन्वेस्टिगेशन नहीं, केस क्लीयर कट, लापरवाही या करप्शन का है

गगन तलवार, करनाल बीएमडब्ल्यू कार और जेम्स इंटरनेशल स्कूल की बस में टक्कर मामला कैसे ि

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 Dec 2017 03:01 AM (IST)Updated: Wed, 06 Dec 2017 03:01 AM (IST)
आइजी साहब! इन्वेस्टिगेशन नहीं, केस क्लीयर कट, लापरवाही या करप्शन का है
आइजी साहब! इन्वेस्टिगेशन नहीं, केस क्लीयर कट, लापरवाही या करप्शन का है

गगन तलवार, करनाल

loksabha election banner

बीएमडब्ल्यू कार और जेम्स इंटरनेशल स्कूल की बस में टक्कर मामला कैसे निपटाया गया? दैनिक जागरण के मामला उठाने के बाद आइजी सुभाष यादव ने कहा कि इसकी जांच होगी। किन पुलिस कर्मियों ने क्यों और कैसे मामला निपटाया। एडवोकेट जितेंद्र राणा ने कहा कि जांच की बात करते हुए आइजी भी वह तथ्य भूल गए, जिससे यह साबित होता है कि इस मामले में जांच की नहीं बल्कि कार्यवाही की जरूरत है। क्योंकि मामला जिस तरह से निपटाया गया और जिस तरह से तथ्यों के साथ छेड़छाड़ हुई, इसके पीछे सीधे-सीधे आरोपियों को लाभ पहुंचाने की कोशिश हुई है। स्कूल प्रबंधन ने दुर्घटना और इसमें गर्वित की टांग टूटने की घटना को छुपाया, इधर पुलिस ने साक्ष्यों को खुर्द बुर्द करने में स्कूल प्रबंधन की मदद की। एडवोकेट ने बताया कि कम से कम पुलिस अश्वनी की शिकायत पर मामला तो दर्ज करती। बाकी जो भी होता वह जांच में सामने आ ही जाता।

इंवेस्टिगेशन नहीं इसलिए होना चाहिए पुलिस के खिलाफ एक्शन

एडवोकेट ने बताया कि एफआइआर दर्ज करना पुलिस की ड्यूटी है। जब अश्वनी ने शिकायत दी तो मामला तुरंत दर्ज होना चाहिए था। जाहिर है इसमे संबंधित पुलिस क्षेत्र के पुलिसकर्मियों ने पीड़ित के अधिकार को हनन किया है। एक दिसंबर को जब हादसा हुआ तो मौके पर यातायात पुलिसकर्मी पहुंचा। उसने संबंधित पुलिस स्टेशन सदर में इसकी जानकारी दी। इसके बाद भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। गर्वित की हादसे में टांट टूटी, मेडिकल की रिपोर्ट भी पुलिस ले सकती थी, इसे भी आधार बना कर कार्यवाही हो सकती थी।

स्कूल इसलिए जिम्मेदार है

हादसे को क्यों हलके में लिया गया। एक बच्चे की टांग टूटी, स्कूल की ओर से बार बार दावा किया गया कि माइनर चोट है। उनकी बस भी तय ना‌र्म्स पर खरी नहीं उतर रही है। पीड़ित पिता के साथ एक बार भी स्कूल प्रशासन ने एफआइआर दर्ज कराने की कोशिश तक नहीं की। अश्वनी ने बताया कि उलटा स्कूल प्रबंधन ने उस पर दबाव डाला कि बेटे के इलाज का खर्च दे देंगे चूप बैठ जाओ। अभिभावक एकता मंच के प्रधान दिनेश नरूला ने कहा कि ऐसा लगता है स्कूल को बच्चों को ¨चता नहीं बल्कि कार चालक को बचाने की ¨चता ज्यादा है। उनकी बस तय ना‌र्म्स पर खरी नहीं उतर रही।

दबाव आया तो जांच अधिकारी ने खुद बुलाया पीड़ित पिता को

दैनिक जागरण ने सारे तथ्य जुटा कर जब खबर को प्रमुखता से उठाया तो अब खुद को सही साबित करने के लिए सदर पुलिस स्टेशन के आइओ ने अश्वनी को फोन कर मिलने के लिए समय मांगा। अश्वनी ने बताया कि पहले पुलिस वाले उससे बात नहीं कर रहे थे। लेकिन अब सही से बात कर रहे हैं। लेकिन अभी भी एफआइआर दर्ज नहीं कर रहे हैं।

पंचायत बिठाना चाह रहे जांच अधिकारी

अश्वनी ने बताया कि मामले की जांच कर रहे जांच अधिकारी विजय ने उन्हें बुला कर कहा कि गाड़ी चालक को बुला लेते हैं, दो तीन दिन रूक जाओ, फिर तुम्हें संतुष्ट कर देंगे। पीड़ित ने बताया कि पुलिस की कोशिश है कि कुछ भी हो जाए बस कार चालक व स्कूल प्रशासन पर आंच नहीं आनी चाहिए। इसी को ध्यान में रख कर पुलिस काम कर रही है। कानून के जानकारों का कहना है कि पुलिस को कोई हक ही नहीं कि इस तरह से पंचायत बिठाए। यह गलत है, यदि कोई भी पुलिसकर्मी ऐसा करता है तो वह कहीं न कहीं जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है।

बाक्स

दैनिक जागरण से सीधी बातचीत में आइजी सुभाष यादव ने कहा कि हर व्यक्ति की एफआइआर दर्ज होनी चाहिए। जांच बाद में होती है। इस मामले में क्यों ऐसा नहीं हुआ इसकी जांच कराएंगे।

सवाल : एफआइआर दर्ज कराने का नियम क्या है, क्या पुलिसकर्मी खुद तय करते हैं एफआइआर दर्ज होगी या नहीं ?

जवाब : नहीं ऐसा नहीं है। हर व्यक्ति की एफआइआर दर्ज होती है। जिसमें अपराध हुआ हो।

सवाल : बीएमडब्ल्यू और स्कूल बस हादसे में एफआइआर क्यों नहीं?

जवाब : इस बारे में संबंधित पुलिस स्टेशन से रिपोर्ट मांगी जाएगी कि क्यों मामला दर्ज नहीं किया गया। कई बार पीड़ित पक्ष आपस में समझौता भी कर लेते हैं। लेकिन यह मामला क्योंकि स्कूल और बच्चे से चोट लगने का है, इसलिए इस मामले की जांच कराएंगे।

अश्वनी जागरूक अभिभावक, हमें भी जागरूक होना चाहिए

अश्वनी को अब शहर के लोगों का भी साथ मिल रहा है। अभिभावक एकता मंच के अध्यक्ष दिनेश ने बताया कि अक्सर स्कूल की मनमानी के मामले में अभिभावक चुप हो जाते हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि यदि वे स्कूल प्रशासन के खिलाफ जाएंगे तो उनके बच्चे को स्कूल से बाहर कर दिया जाएगा। अश्वनी ने स्कूल प्रबंधन की मनमानी का विरोध किया है। निश्चित ही यह उनकी जागरूकता का परिणाम है। अभिभावकों को ऐसे सही सचेत होना चाहिए। तभी हम प्रद्युमन जैसे कांड को रोक पाएंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.