महंगाई के दौर में पशुपालकों को फायदा पहुंचा रहा गोबर गैस प्लांट
संवाद सूत्र निसिग गोबर गैस प्लांट प्रत्येक पशुपालक किसान के लिए बेहद फायदेमंद है। इससे बनने
संवाद सूत्र, निसिग : गोबर गैस प्लांट प्रत्येक पशुपालक किसान के लिए बेहद फायदेमंद है। इससे बनने वाली बायोगैस से न केवल हर महीने रसोई गैस का खर्च बचता है, बल्कि घर को रोशन भी किया जा सकता है। वहीं कुछ लोग बायोगैस से डीजल इंजन चलाकर चारा भी काटते हैं। इतना ही नहीं, गोबर गैस प्लांट से निकलने वाले तरल गोबर से जैविक खाद बनाकर खेती के खर्च को घटाया जा सकता है।
कृषि अधिकारी डा राधेश्याम गुप्ता ने बताया कि प्लांट से निकलने वाला तरल गोबर महज 45 दिन में जैविक खाद में तबदील हो जाता है। जबकि सामान्यत: गोबर का खाद बनने में छह माह लगते हैं। गोबर गैस प्लांट से जैविक खेती को बढ़ावा मिलता है। इससे किसान को फसलों में महंगे बाजारी उर्वरक डालने की जरूरत नही पड़ती। खेती पर किसानों का खर्च घटता है। वहीं रासायनिक खेती की अपेक्षा जैविक खेती स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।
उन्होंने बताया कि भविष्य में बायोगैस प्लांट का बड़े स्तर पर औद्योगिक ईकाइयों में इस्तेमाल संभव है। इससे मंहगी इंधन की खपत को कम किया जा सकता है। किसान ही नहीं, अपितु कोई भी पशुपालक गोबर गैस प्लांट लगाकर घरेलू गैस के खर्च को कम कर सकते है। निसिग गोशाला में लगे गोबर गैस प्लांट से प्रतिदिन करीब पांच सौ लोगों का भोजन बायोगैस से तैयार होता है। किसानों के लिए गोबर प्लांट आम के आम और गुठलियों के दाम सरीखा है। सरकार देती है सब्सिडी
कृषि अधिकारी डा. राधेश्याम गुप्ता के अनुसार नया गोबर गैस प्लांट लगाने वाले प्रत्येक व्यक्ति को सरकार की ओर से 12 हजार बतौर सब्सिडी दिए जाते हैं। ये प्लांट लगने के बाद कृषि अधिकारी द्वारा सत्यापन करने के बाद खाते में भेजे जाते है। इससे पहले प्लांट लगवाने के लिए नजदीकि कृषि कार्यालय में पहुंच आवेदन फार्म भरकर देना होगा। उन्होंने बताया कि आमतौर पर घरों में 210 क्यूसिक फीट का प्लांट लगाया जाता है। यह लगभग 35 से 40 हजार में तैयार होता है, जिसकी क्षमता 25 से 30 लोगों की तीनों समय भोजन पकाने की है। इसमें 70 से 80 किलोग्राम गोबर लगता है। गोलाकार 14 फीट जगह की जरूरत पड़ती है। आवश्यकता के अनुसार प्लांट का साइज व क्षमता बढ़ाई जा सकती है। बायोगैस लीक होने पर किसी प्रकार का खतरा भी नहीं है। गोशाला के प्लांट से 20 एकड़ में जैविक खेती
कस्बे की श्रीकृष्ण गोपाल गोशाला में बीते कई साल पहले गोबर गैस प्लांट लगाया गया था। इसमें छह से सात क्विटल गोबर डालकर प्रतिदिन साढ़े चार सौ से पांच सौ लोगों का भोजन पकाया जाता है, जो 2115 गायों का चारा व साफ-सफाई सहित अन्य प्रकार की देखरेख करते हैं। वहीं गोशाला में क्षेत्र के विभिन्न गांवों से गोभक्त पहुंचते हैं। उन्हें गर्म दूध का प्रसाद दिया जाता है। चार एकड़ में जैविक खाद तैयार
गोशाला प्रधान सुभाष चंद सिगला के अनुसार चार एकड़ में गायों के गोबर से जैविक खाद तैयार किया जाता है। गोशाला की ओर से 50 एकड़ में हरे चारा व 20 एकड में गेहूं व धान की जैविक फसल उगाई जाती है। फसल चक्र अपनाने के कारण बरसीम वाले खेत में खरपतवारों का जमाव नहीं होता। इसलिए केमिकल दवाइयां नहीं डालनी पड़ती। उनकी ओर से जैविक खेती की जाती है। महज नाम मात्र रसायन खाद डाला जाता है। इससे उनका फसल पर खर्च घटता है। वहीं जैविक खाद बनाकर उसे सेल किया जाता है। इससे गोशाला की आमदनी में इजाफा होता है।