150 अस्पतालों के 400 डॉक्टर गए हड़ताल पर, भटकते रहे मरीज
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर एनएमसी यानि नेशनल मेडिकल काउंसिल बिल के विरोध में बुधवार को 150 अस्पतालों के 400 से अधिक डॉक्टर हड़ताल पर चले गए।
जागरण संवाददाता, करनाल : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर एनएमसी यानि नेशनल मेडिकल काउंसिल बिल के विरोध में बुधवार को 150 अस्पतालों के 400 से अधिक डॉक्टर हड़ताल पर चले गए। सभी अस्पतालों की ओपीडी पूर्ण रूप से बंद रही। केवल इमरजेंसी सेवाएं ही सुचारु रही। इधर सरकारी अवकाश होने के कारण कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज व नागरिक अस्पताल भी बंद रहे। लोग अस्पतालों में भटकते रहे, लेकिन इलाज नहीं मिला।
मरीजों को बैरंग लौटना पड़ा
जिन मरीजों को हड़ताल के बारे में जानकारी थी वह नहीं आए, लेकिन जिनको इसकी सूचना नहीं थी वह अस्पतालों में पहुंचे। लेकिन वहां डॉक्टर नहीं मिले। हड़ताल में ओपीडी के साथ-साथ पैथॉलोजी का कार्य, एक्सरे व अल्ट्रासाउंड भी पूर्ण रूप से बंद किए गए। जो मरीज गांव से शहर में चेकअप के लिए आए थे उन्हें बैरंग वापस लौटना पड़ा।
स्वास्थ्य विभाग की तरफ से नहीं किया कोई विशेष
आइएमए के आह्वान पर की गई हड़ताल की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को होने के बावजूद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। मरीजों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई। कुछ मरीज निजी अस्पताल में पहुंचे तो उन्हें हड़ताल के बारे में पता चला, लेकिन वहां से सीधे उन्होंने सरकारी अस्पताल की ओर रूख किया। यहां पर भी ओपीडी बंद मिली।
बच्चे को बुखार था, भटकती रही महिला
बुढ़नपुर निवासी महिला सुमन के पांच वर्षीय बच्चे अंकित को बुखार था। सुबह वह एक निजी अस्पताल में पहुंची तो वहां पर चेकअप नहीं हुआ। एक के बाद एक अस्पताल जाती रही, लेकिन हर जगह निराशा ही हाथ लगी। आखिरकार महिला को इमरजेंसी में ही बच्चे को दिखाना पड़ा।
100 फीसद सफल रही हड़ताल
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के जिला प्रधान डॉ. इकबाल सिंह ने बताया कि हड़ताल 100 फीसद सफल रही है। एनएमसी बिल के विरोध में हड़ताल की गई थी। हमारा मकसद लोगों को परेशान करने का नहीं है, लेकिन सरकार की ओर से जो बिल पास हुआ है उसमें संशोधन की जरूरत है, यदि यह लागू हुआ तो बड़ा नुकसान होगा। सरकार इस बिल पर गंभीरता से विचार करे। इसमें संशोधन करने के लिए आइएमए ने अपना पक्ष रखा है। इस पक्ष को शामिल करते हुए इसे लागू किया जाना चाहिए।