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पहले देते प्रॉपर्टी आइडी नंबर, फिर उसी को बताते अवैध

ये अवैध कालोनियों का मामला सीधा-सीधा भी है और उलझा भी। नगर निगम की ओर से हाल ही में 22 अवैध कालोनियों की सूची जारी की गई।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 07:20 AM (IST)Updated: Mon, 18 Jan 2021 07:20 AM (IST)
पहले देते प्रॉपर्टी आइडी नंबर, फिर उसी को बताते अवैध
पहले देते प्रॉपर्टी आइडी नंबर, फिर उसी को बताते अवैध

अश्विनी शर्मा, करनाल

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ये अवैध कालोनियों का मामला सीधा-सीधा भी है और उलझा भी। नगर निगम की ओर से हाल ही में 22 अवैध कालोनियों की सूची जारी की गई। इनमें निर्माण व प्लाट नहीं खरीदने की हिदायत दी गई है। इन कालोनियों में जिन लोगों ने भी प्लाट खरीदकर रजिस्ट्री करवाई है, वह सभी नगर निगम कार्यालय की ही दहलीज से होकर आए हैं। क्योंकि तहसील में रजिस्ट्री से पहले नगर निगम की ओर से प्रोपर्टी आइडी नंबर दिया जाता है और डीटीपी की ओर से एनओसी। इसके बाद ही तहसील में रजिस्ट्री होती है। इसके बाद इन कालोनियों में लोग अपना आशियाना बनाना शुरू करता है। तब कहा जाता है कि अमूक कालोनी अवैध है। भूमाफियाओं के झांसे में नहीं आएं। जबकि भूमाफियाओं के झांसे में आने का रास्ता इनके गलियारों से होकर ही आता है।

जिन कालोनियों को कहा है अवैध, उन सभी में हुई रजिस्ट्रियां

नगर निगम की ओर से जिन 22 अवैध कालोनियों की सूची जारी की गई, उन सभी में रजिस्ट्रियां हुई हैं। इन कालोनियों में गांव फूसगढ में उत्तम नगर के साथ, दुर्गा कालोनी के नजदीक, शेखपुरा सुहाना रोड पर सैलजा मिल के पीछे, शेखपुरा सुहाना रोड पर जेटीपीएल के सामने, करण विहार कृपाल आश्रम के सामने, गांव मंगलपुर के नजदीक आरके पुरम पार्ट-2, कुंजपुरा रोड पर हवाई पट्टी के सामने, गांव कटाबाग के पीछे पा‌र्श्वनाथ सिटी के साथ व शक्ति पुरम पार्ट-2 शामिल है। इसके साथ ही कैलाश रोड पर बागपति के साथ, पा‌र्श्वनाथ सिटी के साथ कटाबाग रोड पर, नजदीक पाम रेजिडेंसी रांवर रोड, मधुबन के सामने अशोक विहार एक्सटेंशन, नई अनाज मंडी के सामने, न्यू रामदेव कालोनी नई अनाज मंडी के सामने, मंगल कालोनी पार्ट-2 मंडी रोड, शास्त्री नगर पार्ट-2, आनंद विहार पार्ट-2, हकीकत नगर पार्ट-2, कैथल रोड पर राधा स्वामी सत्संग घर के साथ, कैथल रोड पर जिला जेल के सामने, गांव सैदपुरा के पास सेठी कालोनी शामिल है। इन सभी कालोनियों में रजिस्ट्रियां हुई तो प्रशासन मौन बना था।

सबकुछ पता, फिर भी बन जाते हैं अनजान : सुरजीत मंढाण

जमीनी मामलों के वरिष्ठ अधिवक्ता सुरजीत मंढाण का कहना है कि जाहिर तौर अवैध कालोनी में रजिस्ट्री करवाने के लिए निगम से प्रोपर्टी आईडी नंबर व डीटीपी से एनओसी ली जाती है तो कालोनी पनपने की शुरुआत हो चुकी होती है। अवैध कालोनी को पनपने से रोकने के लिए इसी चरण पर निगम व डीटीपी शिकंजा कस सकता है। जो 22 कालोनियों की लिस्ट जारी हुई है, उनमें भी रजिस्ट्रियां इसी तरह से हुई हैं।

अब साफ्टवेयर रजिस्ट्री का टोकन नहीं उठाता : तहसीलदार

तहसीलदार राजबक्श ने कहा कि प्रोपर्टी आईडी नंबर नगर निगम देता है और डीटीपी एनओसी देता है। यह कागजात रजिस्ट्री के लिए जरूरी है। लेकिन अवैध कालोनी में कोई रजिस्ट्री करवाना चाहता है तो अब सरकार ने ऐसा साफ्टवेयर दे दिया है, जिससे वह रजिस्ट्री का टोकन ही नहीं उठता है। इससे पहले जो रजिस्ट्री हुई हैं, उसके बारे में कुछ ज्यादा जानकारी नहीं दे सकते।


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