बदल गए चुनाव, न शोर रहा न प्रत्याशियों को करनी पड़ रही दौड़धूप
अब न पहले जैसा चुनावी शोर रहा और न ही प्रत्याशियों को दौड़ धूप करनी पड़ रही।
करनाल : अब न पहले जैसा चुनावी शोर रहा और न ही प्रत्याशियों को दौड़ धूप करनी पड़ रही। अब चुनाव पूरी तरह से मशीनी हो चुका है। चुनाव बदल चुके हैं, लेकिन तकनीक से जुड़ना अच्छा है। यह विचार सदर बाजार निवासी 95 वर्षीय वयोवृद्ध सरदार इंद्र सिंह ने चुनाव की चर्चा में बयान किए। उन्होंने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि हालांकि पहले जोरशोर होता था और प्रचार का तरीका था, वह अच्छा लगता था। चुनाव भी पर्ची से होता था, लेकिन इसमें गोपयनीयता न रहने का खतरा हमेशा बना रहता था। समय बीतता गया और वर्तमान दौर में चुनाव पूरी तरह से बदल चुका है। अब मशीनी चुनाव हो चुका है। प्रचार भी मोबाइल, टीवी, इंटरनेट, सोशल मीडिया से हर मतदाता के बीच किया जा रहा है तो जनसभाओं में भी भीड़ जुटाने के लिए ज्यादा प्रयास नहीं करने पड़ते। बढ़े यातायात और मतदाताओं तक संदेश के तकनीकी माध्यमों ने प्रत्याशियों की हर मतदाता तक पहुंच बढ़ा दी है। चुनाव प्रचार ही नहीं बल्कि मतदान प्रक्रिया भी अब पहले जैसी नहीं रही। अब मशीन का बटन दबाना होता है और ऐसे में वोट की गोपनीयता बनी रहती है। इसी बीच मतदाता भी पहले की अपेक्षा जागरूक हुआ है और अब वह प्रत्याशी से लेकर विधायक व मुख्यमंत्री को भी सीधे सवाल कर रहा है। ये सवाल एक साथ पूरी दुनिया तक भी जा रहे है तो ऐसे में चुनाव मैदान में उतरे लोगों की मुश्किलें भी बढ़ी है।