Move to Jagran APP

नाले के नाम पर उजाड़ दी हरियाली, तीन पेड़ धराशायी, 28 ढहने की कगार पर

जागरण संवाददाता, करनाल : स्मार्ट शहर के लिए जीवनदायी पेड़-पौधे जरूरी हैं या कंकरीट का खोखला विकास? कर

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Jun 2018 01:25 AM (IST)Updated: Fri, 08 Jun 2018 01:25 AM (IST)
नाले के नाम पर उजाड़ दी हरियाली, तीन पेड़ धराशायी, 28 ढहने की कगार पर
नाले के नाम पर उजाड़ दी हरियाली, तीन पेड़ धराशायी, 28 ढहने की कगार पर

जागरण संवाददाता, करनाल : स्मार्ट शहर के लिए जीवनदायी पेड़-पौधे जरूरी हैं या कंकरीट का खोखला विकास? करनाल प्रशासन का रवैया बताता है कि वह तो कंकरीट का पक्षधर है। सरकारी तंत्र इतना पत्थर दिल हो गया कि पेड़ों का महत्व ही याद नहीं रहा। करनाल को कंकरीट में तब्दील करने में इतने मशगूल है कि मार्ग में यदि हरियाली आए तो उसे भी बख्शा नहीं जाता।

loksabha election banner

पेड़ों की ठंडी छांव के लिए मशहूर माल रोड को ही ले लीजिए। नगर निगम यहां 90 लाख की लागत से पक्के नाले का निर्माण करवा रहा है। सड़क के दोनों तरफ पेड़-पौधों की भरमार है। वन विभाग से इस शर्त पर एनओसी ली गई थी कि पेड़ों को नुकसान नहीं होने देंगे, लेकिन निर्माणाधीन नाले की वजह से हरियाली ही संकट में है।

जागरण ने सर्वे किया तो पाया कि खुदाई के नाम पर निगम ने विशालकाय पेड़ों की जड़ें ही कुरेद दी। बरसात आते ही से तीन पेड़ धराशायी हो गए। 28 अंतिम सांस गिन रहे हैं। तेज हवा का एक झोंका आते ही इनका वजूद भी खत्म समझो। सवाल उठता है कि एक नाले के लिए इतने पेड़ों की बलि कहां तक सही है।

दो दीवार ढहाई, कई गिरने की कगार पर

माल रोड पर यह नाला एसपी निवास की तरफ फुटपाथ के साथ-साथ बनाया जा रहा है। पेड़ों की जड़ों को इस कदर कुरेद दिया गया कि बुधवार को बरसात आते ही यह ढहने लगे। साथ लगते पुलिस महानिरीक्षक यातायात एवं हाईवे हरियाणा के कार्यालय की दीवार भी ढह गई। पास ही बने एक मकान की चहारदीवारी भी जमींदोज हो गई। गनीमत रही कि आस-पास कोई नहीं था। नहीं तो बड़ा हादसा हो जाता।

पेड़ गिरने से हादसा हुआ तो जिम्मेदार कौन

माल रोड पर वाहनों की आवाजाही बहुत अधिक रहती है। नाले की खुदाई के बाद बड़े पेड़ों का झुकाव भी सड़क की तरफ है। इनकी तरफ ध्यान नहीं दिया तो विशालकाय पेड़ सड़क पर गिरेंगे। ऐसे में बड़ा नुकसान तय है। इसका जवाबदेह कौन होगा। इससे बचने के लिए न तो निगम के पास इंतजाम हैं और न ही पेड़ों को बचाने के लिए वन विभाग के पास कोई योजना। बारिश या तूफान आते ही नुकसान तो होगा।

पर्यावरण के साथ ज्यादती, वन विभाग मौन

नाले के नाम पर निगम ने पेड़ों के साथ जमकर खिलवाड़ किया। इनकी जड़ों तक को काट दिया गया। इससे पर्यावरण को सीधा नुकसान है। यह सब देखकर भी वन विभाग मौन है। जो पेड़ सड़क की तरफ गिरे उन्हें काटकर रास्ता क्लियर कर दिया गया। एक बार भी निगम से यह नहीं पूछा कि पेड़ों और पर्यावरण से यह ज्यादती क्यों और किसलिए?

पूछेंगे पेड़ों से खिलवाड़ क्यों : विजेंद्र

डीएफओ विजेंद्र ¨सह ने कहा कि माल रोड पर बन रहे नाले के कारण एक-दो पेड़ गिरे हैं। इनको उठवाया जा रहा है। यह गलत है। निगम के अधिकारियों से पूछेंगे कि हरियाली के साथ यह खिलवाड़ क्यों। हमने इस शर्त पर नाला बनाने की एनओसी थी कि पेड़ों को नुकसान नहीं होने दिया जाएगा।

जगह कम, पेड़ों के पास खोदाई मजबूरी : जेई

निगम के जेई प्रदीप ने कहा कि अंबेडकर चौक से पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस तक दो पार्ट में नाले का टेंडर दिया गया है। इस पर करीब 90 लाख रुपये लागत आएगी। जगह कम है इसलिए पेड़ों के बिल्कुल पास नाले के लिए खोदाई उनकी मजबूरी है। वन विभाग ने तो अभी तक नहीं पूछा कि पेड़ क्यों गिरे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.