जीएम रोडवेज क्या यूं ही महफूज रखेंगे विद्यार्थियों को, इस मजबूरी की वजह क्या
जब जीएम रोडवेज अश्विनी डोगरा पंडित चिरंजीलाल शर्मा गवर्नमेंट पीजी कॉलेज के प्रदर्शनकारियों को बस ठहराव नियमित कराने का वादा कर रहे थे, ठीक उसी वक्त आइटीआइ चौक पर तीस से ज्यादा विद्यार्थी जान जोखिम में डाल कर बसों के पीछे भाग रहे थे। चालक बस को कभी आगे जाकर रोकते कभी पीछे ही रोक कर चल देते थे। जैसे ही भागते हुए बच्चे बस के नजदीक पहुंचते, तब तक चालक एक्सीलेटर दबा रफ्तार तेज कर देते। इस कोशिश में किसी की किताब गिर जाती, कोई खुद ही लड़खड़ा रहा था।
जागरण संवाददाता करनाल : जब जीएम रोडवेज अश्विनी डोगरा पंडित चिरंजीलाल शर्मा गवर्नमेंट पीजी कॉलेज के प्रदर्शनकारियों को बस ठहराव नियमित कराने का वादा कर रहे थे, ठीक उसी वक्त आइटीआइ चौक पर तीस से ज्यादा विद्यार्थी जान जोखिम में डाल कर बसों के पीछे भाग रहे थे। चालक बस को कभी आगे जाकर रोकते कभी पीछे ही रोक कर चल देते थे। जैसे ही भागते हुए बच्चे बस के नजदीक पहुंचते, तब तक चालक एक्सीलेटर दबा रफ्तार तेज कर देते। इस कोशिश में किसी की किताब गिर जाती, कोई खुद ही लड़खड़ा रहा था।
ऐसे में एक बस किसी तरह से स्टाप पर रुकती है, तीस से ज्यादा विद्यार्थी उसमें चढ़ने की कोशिश करते हैं पर जगह नहीं मिलती। क्योंकि इससे पहले पांच से ज्यादा बस चालक यहां रुके बिना ही निकल गए। ऐसे में इस बस में चढ़ने के लिए वह जान जोखिम में डाल देते हैं। कोई छत पर चढ़ता है, कोई पीछे लटक जाता है। क्या करें, यह स्टंटबाजी नहीं, मजबूरी है। क्योंकि पता नहीं अगली बस कब रुकेगी। यहीं सोच उन्हें असुरक्षित सफर करने पर मजबूर करती है।
विद्यार्थियों की जिस मांग पर पुलिसकर्मी उन पर लाठी भांज रहे थे, यदि वे एक बार ऐसे ही किसी स्टॉप पर आकर देखते कि रोडवेज के चालक कैसे मनमर्जी कर रहे हैं तो उन पर लाठी चलाने से पहले उनके जेहन में यह सवाल जरूर आता कि बल प्रयोग जरूरी है या नहीं।
लाठी चलाने वाले भूल गए कि उनके बच्चे भी यूं ही जान जोखिम में डालकर आते हैं
आइटीआइ में मैकेनिकल के प्रथम वर्ष के छात्र दीपक शर्मा ने बताया कि लाठी चला रहे पुलिसकर्मी भूल गए कि उनके भी बच्चे शिक्षण संस्थान में यूं ही जान जोखिम में डाल कर जाते होंगे? गवर्नमेंट कालेज के छात्र तो रोडवेज के चालकों की मनमानी को उजागर कर रहे थे। उन पर बल प्रयोग करना गलत है।
हाईवे है, यहां भागने से जोखिम और ज्यादा बढ़ जाता है
हाईवे पर क्योंकि वाहनों की संख्या बहुत ज्यादा रहती है। ऐसे में जब भी कोई भागता है तो हादसा होने के चांस कम से कम 20 गुणा ज्यादा बढ़ जाते हैं। क्योंकि सामने वाले को पता नहीं चल पाता कि भागने वाला किधर जाएगा। अचानक से दूसरे वाहन के सामने आने से भी हादसा हो सकता है। इतना ही नहीं भाग कर हांफने की वजह से यदि बस को पकड़ भी लिया तो उसकी पकड़ कमजोर रहती है। इसलिए नीचे गिरने की संभावना भी बढ़ जाती है।
हर बस थमे तो न भीड़ हो न हादसे
यदि स्टॉप पर हर बस रुक कर जाए तो स्टूडेंट्स एक बस में चढ़ने के बजाय भीड़ होने पर दूसरी बस कर इंतजार कर सकते हैं। क्योंकि तब उन्हें उम्मीद होती है कि दूसरी बस भी यहां थम कर जाएगी, लेकिन रोडवेज के जीएम इस तरह की व्यवस्था बनाने के बजाय अपने चालकों को ही बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यहीं उठ रहा है कि क्या इस तरह के हादसे थमेंगे या यूं ही यह सिलसिला चलता रहेगा।