Move to Jagran APP

पिता का हक मांगने के लिए एक साल से भटक रही बेटी

सुशासन में बेटियों को अधिकार दिलाने की बात करने वालों को जिला ट्रेजरी कर्मचारियों की कार्यप्रणाली में सुधार करवाने की जरूरत है। सालों पुरानी व्यवस्था पर काम करने वाले जिला ट्रेजरी कार्यालय के कर्मचारी आनलाइन युग में एक साल से बेटी को उसके पिता का हक नहीं दिला सके हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Dec 2021 12:33 AM (IST)Updated: Mon, 27 Dec 2021 12:33 AM (IST)
पिता का हक मांगने के लिए एक साल से भटक रही बेटी
पिता का हक मांगने के लिए एक साल से भटक रही बेटी

जागरण संवाददाता, करनाल : सुशासन में बेटियों को अधिकार दिलाने की बात करने वालों को जिला ट्रेजरी कर्मचारियों की कार्यप्रणाली में सुधार करवाने की जरूरत है। सालों पुरानी व्यवस्था पर काम करने वाले जिला ट्रेजरी कार्यालय के कर्मचारी आनलाइन युग में एक साल से बेटी को उसके पिता का हक नहीं दिला सके हैं। 12 माह से अधिक समय से प्रत्येक माह तीन-चार चक्कर लगाने वाली लाचार संतोष को ट्रेजरी अधिकारी सहित कर्मचारियों ने कई आश्वासन दिए। नतीजा सुशासन का दावा करने वालों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करने वाला है। ----बाक्स----- पिता की पेंशन नहीं हो रही चालू केवल परिचितों को तवज्जो देने वाले ट्रेजरी कार्यालय के कर्मचारियों ने शरीर से लाचार इस बेटी की आर्थिक मजबूरियों को नहीं समझा। गांव फूसगढ़ वासी संतोष कुमारी का कहना है कि पिता कुलदीप सिंह पटवारी थे और उनकी मृत्यु 1996 में हो गई थी। इसकी पेंशन उनकी माता छोटी देवी को मिलती थी। छोटी देवी की मृत्यु अक्टूबर-2020 को हो गई थी। तब से लेकर अधिकार के लिए भटक रही हैं। कार्यालय में अधिकारी सहित कर्मचारियों ने कई आश्वासन दिए लेकिन पेंशन चालू नहीं हुई। शरीर की लाचारी के बावजूद एक वर्ष से महीने में तीन-चार चक्कर लगाती हूं। कर्मचारी न जाने कितनी बार कागजों की मांग कर चुके हैं। ----बाक्स---- थक चुकी संतोष की आंख हुई नम व्यवस्था की शिकार संतोष की आंख से आंसू न चाहते हुए भी निकल पड़े। उनका कहना है कि प्रशासन में सुशासन की यह कैसी व्यवस्था है, जिसमें मेरा हक नहीं मिला। वह अपने माता-पिता पर आश्रित थीं और उनके निधन के बाद पेंशन पर उनका अधिकार है। माता-पिता की मृत्यु के बाद घर खर्च चलाना मुश्किल है। ट्रेजरी कार्यालय आने के लिए 100 रुपये लग लाते हैं। साल में कितने चक्कर लगाए, इसकी गिनती नहीं है। ---बाक्स---- सुशासन पर एक नजर, जिसमें फरियादियों को नहीं होती परेशानी प्रदेश सरकार ने सुशासन की नीतियों को लागू करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए हैं ताकि लोगों को लाइन में न लगना पड़े और कम समय में समस्याओं का हल किया जा सके। सुशासन के अनुसार नीतियों का समुचित रूप से पालन सुनिश्चित करना प्रशासन का कार्य है। अधिवक्ता नाथीराम ने बताया कि ट्रेजरी कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारी सुशासन का पाठ पढ़ना नहीं चाहते। यही कारण है कि यहां आवेदकों को सालों भटकना पड़ता है और परिचितों व मुट्ठी गर्म करने वालों का काम तुरंत हो जाता है। ----बाक्स---- उपायुक्त ने दिखाई सख्ती उपायुक्त निशांत कुमार यादव कहते हैं कि सरकार का प्रयास है कि कम समय में लोगों को न्याय मिले और कार्यालयों में भटकना न पड़े। कर्मचारियों से जवाब मांगा जाएगा। ट्रेजरी अधिकारी या कर्मचारी की कमजोर कार्यप्रणाली मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी। वहीं, जिला ट्रेजरी अधिकारी रामनिवास खर्ब ने बताया कि एसडीएम कार्यालय से रिपोर्ट तैयार होनी थी जिसके चलते अधिक समय लगा। जिला स्तर पर प्रक्रिया पूरी करके केस मुख्यालय भेजा गया है। मामला खुद डील कर रहे हैं। भ्रष्टाचार के आरोप बेबुनियाद हैं।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.