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ऑनलाइन सेवा के लिए खरीदे एसी बढ़ा रहे अधिकारियों की ठंडक

जागरण संवाददाता, करनाल आरटीआइ के गोलमोल जवाब देने का नुस्खा नगर निगम से सीखना चाहिए। यहां ऐसे जवाब दिए जाते हैं कि पढ़ने वाला भी चकरा जाए। एसी से संबंधित आरटीआइ में भी कुछ ऐसा ही हुआ।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Sep 2018 01:40 AM (IST)Updated: Sat, 15 Sep 2018 01:40 AM (IST)
ऑनलाइन सेवा के लिए खरीदे एसी बढ़ा रहे अधिकारियों की ठंडक
ऑनलाइन सेवा के लिए खरीदे एसी बढ़ा रहे अधिकारियों की ठंडक

जागरण संवाददाता, करनाल

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आरटीआइ के गोलमोल जवाब देने का नुस्खा नगर निगम से सीखना चाहिए। यहां ऐसे जवाब दिए जाते हैं कि पढ़ने वाला भी चकरा जाए। एसी से संबंधित आरटीआइ में भी कुछ ऐसा ही हुआ। निगम ने 2015 से 2018 तक 22 एसी खरीदे। यह किन-किन अधिकारियों व कर्मचारियों के कमरे में लगाए। इनकी ठंडक लेने की पॉवर किसे है? इसकी जानकारी नहीं होने का हवाला दे दिया। जो जवाब दिया वह हैरान करने वाला है। आरटीआइ एक्टिविस्ट सुरजीत ¨सह को बताया गया कि ऑनलाइन सेवा के लिए एसी की जरूरत महसूस हुई, इसलिए खरीदे गए। हकीकत यह है कि निगम के सर्वर रूम में केवल एक एसी है। नागरिक सुविधा केंद्र में एक भी नहीं। लाखों के ये एसी अधिकारियों को ठंडक पहुंचा रहे हैं। बिल भी तीन से चार गुना बढ़ गया। निगम में कौन से अधिकारी इन्हें लगा सकते हैं। इससे संबंधित सरकार की कोई हिदायत नहीं होने की बात कही। सुरजीत ¨सह ने कहा कि वे अब निदेशालय में सेकेंड अपील लगाएंगे। अपील के बाद मिला जवाब

सुरजीत ¨सह ने बताया कि उसने 20 जून को आरटीआइ लगाई थी। जवाब नहीं मिला तो हारकर 2 अगस्त को प्रथम अपील लगाई। इसके बाद भी ढील बरती गई। एक महीना आठ दिन बाद इस पर सुनवाई की। 30 दिन का समय है। 80 दिन बाद 10 सितंबर को सुनवाई के समय जवाब दिया। 50 हजार से डेढ़ लाख हुआ बिल

निगम के पुराने ऑफिस में चु¨नदा अधिकारियों के कमरों में एसी थे। 23 सितंबर 2015 को निगम का ऑफिस डीएवी कॉलेज के सामने वर्किंग वुमेन होस्टल में शिफ्ट हुआ था। यहां पर एक के बाद एक 22 एसी खरीदे। इसका असर यह हुआ कि निगम का दो माह का बिजली बिल 50 हजार रुपये से बढ़कर सीधे डेढ़ लाख पर पहुंच गया। 1970 में जारी हुई थी एडवाइजरी

प्रदेश सरकार ने वर्ष 1970 में नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके तहत जिला स्तर के अधिकारियों को यह सुविधा नहीं मिल सकती। हरियाणा सरकार की एडवाइजरी जारी होने के बाद भी डीसी तक अपने कार्यालय में एसी नहीं लगा सकते हैं। वह केवल रूम कूलर ही लगा सकते हैं। आनलाइन सेवाओं के लिए हैं तो सीएफसी में लगाते

एडवोकेट हर्ष लाठर का कहना है कि इस आरटीआइ को देखकर लगता है कि निगम ने गुमराह करने का प्रयास किया है। यदि इन्हें ऑनलाइन सेवा के लिए खरीदा गया है तो इन्हें पब्लिक डी¨लग के लिए खोले गए नागरिक सुविधा केंद्र में लगाते। क्योंकि यहां पर एक कमरे में तीन-चार कम्प्यूटर हैं। इसके बावजूद यहां एक भी एसी नहीं। निगम ने एसी केवल जेई से लेकर इससे ऊपर के अधिकारियों के कमरों में लगा दिए। वर्जन

जो जानकारी निगम के पास उपलब्ध थी आरटीआइ एक्ट के तहत उनका जवाब दे दिया गया है। इसमें देरी क्यों हुई। इसके बारे में संबंधित कर्मचारी या प्रथम अपीलीय अधिकारी ही कुछ बता सकते हैं।

धीरज कुमार, ईओ, नगर निगम करनाल


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