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बाढ़ के रूप में कहर बरपाने वाले पानी को बनाएं जीवन का स्त्रोत-मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रकृति से मिलने वाला जो पानी बाढ़ के रूप में कहर बरपाता है और मानव जीवन कृषि व अन्य संसाधनों को नुकसान पहुंचाता है उसे योजनाबद्ध तरीके से जीवन का स्त्रोत बनाया जा सकता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Jan 2020 06:40 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 06:19 AM (IST)
बाढ़ के रूप में कहर बरपाने वाले पानी को बनाएं जीवन का स्त्रोत-मुख्यमंत्री
बाढ़ के रूप में कहर बरपाने वाले पानी को बनाएं जीवन का स्त्रोत-मुख्यमंत्री

जागरण संवाददाता, करनाल : मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रकृति से मिलने वाला जो पानी बाढ़ के रूप में कहर बरपाता है और मानव जीवन, कृषि व अन्य संसाधनों को नुकसान पहुंचाता है, उसे योजनाबद्ध तरीके से जीवन का स्त्रोत बनाया जा सकता है। इसके लिए सभी जिलों के अधिकारी प्रदेश स्तरीय बाढ़ नियंत्रण कार्ययोजना की सफलता में अपना सहयोग करें और स्वयं भी अपने जिलों में नए प्रयोग करें।

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मुख्यमंत्री ने यह बात शनिवार को देर सायं वीडियो कान्फ्रेंसिग के माध्यम से सभी जिलों के उपायुक्तों व अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ आयोजित बाढ़ नियंत्रण उपायों की समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने शिवधाम योजना, तालाबों के विकास व परिवहन विभाग से जुड़ी योजनाओं की भी समीक्षा की और इनके क्रियान्वयन के संबंध में अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में बाढ़ नियंत्रण के लिए समुचित प्रबंध किए गए हैं। इसके तहत करवाए जाने वाले सभी कार्यों का निरीक्षण स्वयं उपायुक्त करें, ताकि इससे संबंधित योजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करवाया जा सके। रिचार्जिंग प्रणाली को मजबूत करने की योजना तैयार की जाए और अधिक बरसात होने पर अतिरिक्त पानी का कम पानी वाले क्षेत्रों में सदुपयोग करने की रणनीति बनाई जाए। इसके लिए ड्रेन सिस्टम व नहरी तंत्र को मजबूत बनाए जाने की जरूरत है। यदि ऐसा किया जाता है तो जो जल प्रलय लाता है, वही भूमिगत जाकर भविष्य की संचित निधि बन सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हालांकि इस वर्ष बरसात में कमी दर्ज की गई है लेकिन फिर भी बाढ़ नियंत्रण उपायों की सफलता दर पिछले वर्षों के मुकाबले अधिक रही। इसके लिए प्रदेश में 165 नई योजनाओं पर कार्य चल रहा है। उन्होंने पानी के सदुपयोग के लिए एसटीपी से ट्रीटमेंट किए गए पानी का भी आवश्यकता अनुसार उपयोग करने को कहा। इस कार्य के लिए प्रदेश में 1098 करोड़ रुपये की विस्तृत योजना तैयार की गई है।

उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि शिवधाम योजना के तहत प्रदेश के सभी शमशान घाट व कब्रिस्तान में रास्ते, चार दीवारी, शैड तथा पानी की शत-प्रतिशत व्यवस्था ठीक होनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक जिले में तालाब प्राधिकरण के माध्यम से तालाबों के जीर्णोद्धार के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। प्रत्येक जिला में एक तालाब रोल मॉडल के रूप में विकसित किया जाए।


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