चकबंदी पीड़ित बोले- भू-माफिया मिलीभगत करके किसानों की जमीन हड़पने की साजिश रच रहा
लघु सचिवालय में डीसी से मिलने पहुंचे किसानों ने जताया रोष जागरण संवाददाता, करनाल पांच गां
लघु सचिवालय में डीसी से मिलने पहुंचे किसानों ने जताया रोष जागरण संवाददाता, करनाल
पांच गांव कालरम, अराईपुरा, भरतपुर, लालुपुरा और अमृतपुर कलां के चकबंदी पीड़ित किसान सोमवार को लघु सचिवालय में डीसी से मिलने पहुंचे। पीड़ित किसानों ने जांच अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए।
उन्होंने कहा कि भूमाफिया चकबंदी अधिकारियों से मिलीभगत करके किसानों की जमीन हड़पने की साजिश रच रहा है। करनाल में पीड़ित किसानों की सुनने वाला कोई नहीं हैं। किसानों ने कहा है कि अगर नौ तारीख को कब्जा कार्रवाई हुई तो इसके परिणाम बुरे होंगे। पीड़ित किसान खाली पड़े खेतों में अपने परिवार समेत आत्मदाह करने से पीछे नहीं हटेंगे, जिसकी सारी जिम्मेदारी चकबंदी अधिकारी और करनाल प्रशासन की होगी। आपसे प्रार्थना है कि इस कब्जा कार्यवाही पर तुरंत रोक लगाकर पूरे मामले की जांच की जाए।
उन्होंने कहा कि अभी इस मामले का फैसला पूरा नहीं हुआ है। तहसीलदार घरौंडा ने इस चकबंदी मामले का फैसला 14 दिसंबर 2018 को किया था, लेकिन इस फैसले को चकबंदी पीड़ित पांच गांव के किसानों ने अस्वीकार किया है, क्योंकि 14 दिसंबर को तहसीलदार तीन बजे घरौंडा तहसील में आए और हमारे वकीलों को अपने ऑफिस से बाहर कर दिया। इस मामले में 15 फाइलों में से किसी भी केस पर कोई बहस नहीं हुई, लेकिन तहसीलदार घरौंडा ने इस मामले का फैसला एकदम कर दिया। किसानों ने कहा कि कब्जा कार्रवाई करना गलत है, मामले की जांच होनी चाहिए। पीड़ित किसानों ने कहा है कि इस जमीन पर कमिशनर रोहतक की कोर्ट का स्टे लगा है। 15 फाइलों में से सिर्फ 10-12 फाइलों का ही फैसला है, अभी हमारी तीन फाइलों का फैसला आना बाकी है। यह तीन फाइलें तहसीलदार घरौंडा के पास है।