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कोरोना संक्रमण के तनाव में मवेशियों के इलाज को भटकते पशुपालक

कोरोना संक्रमण के तनाव के बीच जिले के 51 पशु अस्पताल वर्षों से अपनी बदहाली के सुधार के लिए जिम्मेदार की तलाश कर रहे हैं। चिकित्सकों के अभाव में मवेशी पालक निजी डाक्टरों का सहारा लेने को मजबूर हैं। कई स्थानों पर न पशु सहायक चिकित्सक है और न ही वीएलडीए तैनात हैं। ऐसे में गांवों के लोग अपने मवेशियों को दूसरे गांवों में अस्पतालों में लेकर जाते हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 Jun 2021 07:53 AM (IST)Updated: Wed, 09 Jun 2021 07:53 AM (IST)
कोरोना संक्रमण के तनाव में मवेशियों के इलाज को भटकते पशुपालक
कोरोना संक्रमण के तनाव में मवेशियों के इलाज को भटकते पशुपालक

-- जिले के सरकारी पशु अस्पतालों में चिकित्सक और दवा का अभाव

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फोटो 01 जागरण संवाददाता, करनाल : कोरोना संक्रमण के तनाव के बीच जिले के 51 पशु अस्पताल वर्षों से अपनी बदहाली के सुधार के लिए जिम्मेदार की तलाश कर रहे हैं। चिकित्सकों के अभाव में मवेशी पालक निजी डाक्टरों का सहारा लेने को मजबूर हैं। कई स्थानों पर न पशु सहायक चिकित्सक है और न ही वीएलडीए तैनात हैं। ऐसे में गांवों के लोग अपने मवेशियों को दूसरे गांवों में अस्पतालों में लेकर जाते हैं। विकास के दौर में आधुनिक सुविधाओं के अभाव के साथ-साथ इन अस्पतालों में पशुओं का इलाज भी चिकित्सक की मनमर्जी पर निर्भर है। इस वक्त गर्मी और बरसात के मौसम में पशु के बीमार होने के आसार रहते हैं। लचर हालात का खामियाजा पशुपालक को कीमती पशु की मौत से भुगतना पड़ता है। ---बॉक्स---- पशु के इलाज के लिए दूसरे अस्पतालों में भटकते ग्रामीण भैणी कलां गांव वासी विजयपाल ने बताया कि छह माह से कटड़ी बीमार चल रही है। सरकारी चिकित्सक के अभाव के कारण निजी का सहारा लेना पड़ा। काफी फीस खर्च करने के बावजूद अभी तक कटड़ी की सेहत में सुधार नहीं हो रहा है। सरकारी अस्पताल में दवा की सुविधा नहीं है और चिकित्सक मनमर्जी के मालिक हैं। कटड़ी की हालत में सुधार न होने के कारण अब उचानी अस्पताल में जांच के लिए जा रहे हैं। विजयपाल ने बताया कि गांव के पशु पालकों के पास करीब छह हजार दुधारू पशु हैं लेकिन चिकित्सकों की सुविधा रामभरोसे है। गांव के लगभग सभी मवेशी पालक निजी चिकित्सकों पर निर्भर हैं। ---बॉक्स----- जिले में 3.50 लाख पशु, 15 हजार भेड़-बकरियों के लिए 35 चिकित्सक जिले में लगभग 3.50 लाख पशु हैं और 15 हजार भेड़-बकरियों के लिए 35 चिकित्सक हैं। बरसात के दिनों में जिले के 51 अस्पताल के परिसर तालाब बन जाते हैं और इनकी चारदीवारी तक गायब है। अनदेखी के शिकार इन अस्पतालों में पशुओं को कभी इलाज तो कभी दवा नहीं मिलती है। पशुपालन एवं डेयरी विभाग के उपनिदेशक डा. धर्मेंद्र कुमार के अनुसार घरौंडा, इंद्री, असंध और करनाल सब डिवीजनों में 51 पशु अस्पताल हैं और 52 चिकित्सकों के पद में 17 खाली हैं। असंध, नीलोखेड़ी, इंद्री और करनाल के अस्पतालों में स्टाफ व सुविधाओं की कमी है। फिर भी बेहतर सेवाएं देने का प्रयास है।


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