पराली जलाना हल नहीं, किसानों को बदलना होगा, दोगुनी आय के लिए तकनीक अपनाएं : प्रो. समर सिंह
जागरण संवाददाता करनाल पराली जलाना समस्या का हल नहीं है। यह हमारा इतिहास भी नहीं है।
जागरण संवाददाता, करनाल : पराली जलाना समस्या का हल नहीं है। यह हमारा इतिहास भी नहीं है। करीब 10 से 12 वर्ष से ही अवशेषों को आग लगाने की घटनाओं में इजाफा हुआ है। यह बड़ा दुखदायी है। किसानों को अपनी धारणा को बदलना होगा एक तरफ हमारे देश के प्रधानमंत्री किसानों की आमदनी दोगुनी करने का प्रयास कर रहे हैं, दूसरी तरफ हम अवशेषों को आग लगाकर अपने ही जान के दुश्मन बने हुए हैं। किसान यदि वैज्ञानिक पद्धति से खेती करे तो उसे दो नहीं बल्कि चार गुना तक मुनाफा मिल सकता है। यह बात महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. समर सिंह ने इंद्री रोड स्थित मन्नत पैलेस में आयोजित सेमिनार में किसानों से बातचीत में कही। किसान अवशेषों को जलाने की बजाय उसी में मल्च करें, इससे खाद की कमी पूरी होगी। किसान की आमदनी में इजाफा होगा और पानी की भी बचत होगी। क्योंकि इससे जमीन में नमी की मात्रा बनी रहती है। उन्होंने कहा कि घटते कृषि क्षेत्रफल को देखते हुए किसानों को बागवानी की तरफ आना होगा। बागवानी ही एक ऐसा तरीका है जिससे किसान कम जमीन में अच्छा खासा मुनाफ ले सकते हैं। होर्टिकल्चर फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के वाइस चेयरमैन डा. एसपी तोमर ने वीसी द्वारा किसानों के किए गए मार्गदर्शन पर उनका आभार प्रकट किया। इससे पहले उन्होंने कंपनी की ओर से की गई गतिविधियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि किसानों के सहयोग से एफपीसी कितनी ग्रोथ कर पाई है।
इस मौके पर उनके साथ डीडीएम नाबार्ड अभिमन्यु मलिक, पूर्व उप कृषि निदेशक डा. देवेंद्र सिंह मलिक, डा. केपी सिंह, वीरेंद्र सिंह, नीलोखेड़ी फार्मर प्रो. कंपनी के चेयरमैन स. सिंह, प्रो ग्रोवर फार्मर प्रो. कंपनी के चेयरमैन डा. राजेश भाटिया, इंद्री एफपीसी के चेयरमैन साहब सिंह डबास व जयकुमार श्योराण भी मौजूद रहे। फोटो---05 नंबर है।
अवशेष ना जलाने को लेकर जागरण का अभियान सराहनीय : डा. तोमर
होर्टिकल्चर फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के वाइस चेयरमैन व कृषि विभाग के पूर्व तकनीकी अधिकारी डा. एसपी तोमर ने कहा कि दैनिक जागरण की ओर से चलाए जा रहे पराली नहीं जलाएंगे पर्यावरण को बचाएंगे अभियान की वह प्रशंसा करते हैं। लगातार किसानों को जागरूक किया जा रहा है कि पराली या धान के अवशेष जलाने से क्या-क्या नुकसान होते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी एफपीसी भी दैनिक जागरण के साथ इस अभियान को सिरे चढ़ाने के लिए अग्रसर है। डा. एसपी तोमर ने कहा कि किसान अवशेषों में आग लगाकर अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी चला रहे हैं। इससे स्वास्थ्य को तो नुकसान हो रही रहा है साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति भी क्षीण होती जा रही है। क्या हम अपनी आने वाली पीढ़ी को बंजर जमीन देकर जाना चाहते हैं यह सोचने का विषय है। किसान सरकारी योजनाओं का लाभ लें : अभिमन्यु मलिक
नाबार्ड के डीडीएम ने सेमिनार में किसानों से सीधा संवाद किया। उन्होंने कहा कि किसानों की आर्थिक हालात को सुधारने के लिए सरकार की ओर से निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। बहुत सी ऐसी योजनाएं हैं जिसका किसान लाभ ले सकते हैं। किसान एफपीओ बनाकर इन योजनाओं को क्रियान्वित करने का काम कर सकते हैं। नाबार्ड के माध्यम से बहुत सारा फंड किसानों के बेहतर भविष्य के लिए है। किसानों को चाहिए कि वह परंपरागत तरीकों को छोड़कर खेती के आधुनिक तौर-तरीकों की तरफ आगे बढ़े। हमारा किसान इतना मेहनती है कि वह किसी भी परिस्थिति में काम कर सकता है। इसलिए हम मेहनती तो हैं साथ ही स्मार्ट वर्क भी करने की जरूरत है। अभिमन्यु मलिक ने कहा कि किसानों के हित के लिए शुरू की गई योजनाओं को किसानों को समझाना चाहिए।