प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण हेतु आधुनिक कृषि पद्धति अपनाएं किसान : बजाड़
प्राकृतिक संसाधन सीमित है, जिन्हें बचाने के लिए किसान आधुनिक कृषि पद्धति अप
संवाद सूत्र, नि¨सग : प्राकृतिक संसाधन सीमित है, जिन्हें बचाने के लिए किसान आधुनिक कृषि पद्धति अपनाए। बीते दशक में भूजल स्तर बड़ी तेजी से नीचे गिरा है। जिसे बचाने हेतु किसानों को धान की सीधी बिजाई अपनानी होगी। वर्षा आधारित एवं पानी के कम खर्च वाली फसलें उगाकर किसान लंबे समय तक खेती कर सकेंगे। अन्यथा एक दो पीढ़ी के बाद खेती तो दूर पीने का पानी भी नसीब नहीं होगा। यह बातें उप कृषि निदेशक डॉ. सुनील बजाड़ ने कही। उन्होंने किसानों को फसल विविधिकरण अपनाने एवं आधुनिक कृषि यंत्रों के इस्तेमाल से वैज्ञानिक तरीके से खेती करने को प्रेरित किया।
डॉ. बजाड़ मंजूरा गांव में बीईओ महेंद्र संधू की अध्यक्षता में आत्मा स्कीम के तहत आयोजित खंड स्तरीय किसान मेले एवं प्रशिक्षण शिविर में किसानों के समक्ष बोल रहे थे। उन्होंने किसानों को फसल अवशेष नहीं जलाने के फायदों व नुकसान की जानकारी देते हुए बताया कि आधुनिक कृषि यंत्रों पर 31 मई तक 40 व भविष्य में 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा सकती है। आठ किसान समूह बनाकर 25 लाख में चार मशीनों व एक ट्रेक्टर पर अनुदान ले सकते हैं। भविष्य में दस लाख तक के यंत्रों पर 80 फीसद अनुदान की डिमांड भेजी है।
कार्यक्रम में डॉ. सुनील ने किसान हित में मिट्टी जांच के फायदे, डॉ. जितेंद्र ने मत्सय पालन पर अनुदान व आमदन बताई, डॉ. अश्वनी दहिया ने बीजोपचार, रोग एवं खरपतवार नियंत्रण बताया। डॉ. नरेंद्र मान व राधेश्याम गुप्ता ने परंपरागत व संरक्षित खेती पर विस्तृत जानकारी दी।
कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि पहुंचे जिप चेयरमैन उषा मेहला के पति संजय मैहला का सरपंच प्रतिनिधि कृष्ण व चिकित्सकों ने जोरदार स्वागत किया। उन्होंने खेती की नई तकनीक अपनाने की अनिवार्यता पर जोर दिया। इस मौके पर पूर्व बीएओ डॉ. नसीब ¨सह, डॉ. दर्शन ¨सह, डॉ. रवि राणा, शमशेर ¨सह व विकास मौजूद थे।