पुरस्कार की चयन प्रक्रिया में पक्षपात का आरोप, परिवार में रोष
जागरण संवाददाता करनाल समाजसेवी प्रीतपाल सिंह पन्नु ने राष्ट्रीय बाल पुरस्कारों मिलने पर करन
जागरण संवाददाता, करनाल: समाजसेवी प्रीतपाल सिंह पन्नु ने राष्ट्रीय बाल पुरस्कारों मिलने पर करनाल के आकर्ष कौशल और उसके परिवार को बधाई दी। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को पत्र लिखकर इस पुरस्कार की चयन प्रक्रिया में उनके बेटे परमवीर सिंह से पक्षपात करने का आरोप लगाया।
पत्र में पन्नु ने प्रधानमंत्री को लिखा परमवीर को 20 जनवरी को महिला एव बाल कल्याण मंत्रालय से फ़ोन पर बताया गया था कि उसका नामांकन पुरस्कार के लिए हुआ है। फोनकर्ता महिला अधिकारी ने बताया कि परम को पुरस्कार राशि देने के लिए बैंक खाते की डिटेल चाहिए। उन्हें बताया गया कि परमवीर का बैंक खाता नहीं है तो तुरंत इसे खुलवाकर शाम तक डिटेल देने को कहा गया। मंत्रालय से इस संबंध में ई-मेल भी मिली। उन्होंने अविलंब खाता खुलवाकर डिटेल भेज दी। लेकिन फ़ाइनल लिस्ट में परम का नाम काट दिया गया। उन्हें अपने स्त्रोतों से पता चला कि परमवीर का नाम मंत्रालय की अंतिम सूची में था लेकिन बाद में नाम काट दिया गया। इससे परिवार मायूस है। परमवीर का मनोबल गिरा है। ऐसा व्यवहार किसी और के साथ न हो, भविष्य में इसका ध्यान रखा जाए। चयन प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद विजेताओं को ई-मेल भेजी जाए। संभव है कि एक शहर से दो बच्चों का नाम न लेने जैसे किसी विचार के चलते उनके बेटे का नाम काट दिया गया हो। ऐसा हुआ है तो यह अनुचित है।
सत्त सक्रिय है परमवीर
उल्लेखनीय है कि युवा समाजसेवी परमवीर ने नशाखोरी व बाल शोषण के ़खलिाफ़ राष्ट्रव्यापी अभियान स्पीकअप फ़्रेंड्स चलाया था। इसमें सबसे लंबी अवधि के वेबिनार के लिए उसका नाम वर्ल्ड बुक आफ़ रिकार्ड में शामिल हुआ। लाकडाउन में परम ने राशन सेवा की। कोविड की दूसरी लहर में नाना की मौत के बावजूद परम ने आक्सीजन वितरण किया और रक्तदान शिविरों में सहयोग दिया। झुग्गी झोपड़ियों में बच्चों को पढ़ाने से लेकर अनाथाश्रम के बच्चों के लिए जन्मदिन का पूरा शगुन देने वाले परम ने सैट परीक्षा में पूरे विश्व के टापर एक प्रतिशत बच्चों में स्थान बनाया था। •ालिा प्रशासन, महिला व बाल कल्याण विभाग, सांसद संजय भाटिया व हिसार के सांसद बिजेंद्र सिंह ने भी पुरस्कार के लिए उसके नाम की संस्तुति की थी। सीजीसी के पूर्व प्रधान सतिदर मोहन कुमार, निफ़ा संयोजक एडवोकेट नरेश बराना व महासचिव प्रवेश गाबा ने भी पूरे प्रकरण को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए केंद्रीय स्मृति ईरानी से मामले का संज्ञान लेने की मांग की।