किसान समूहों को 80 प्रतिशत अनुदान पर मिलेंगे यंत्र : डॉ. आदित्य डबास
इन केंद्रों पर किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए उपकरण व यंत्र सहजता से उपलब्ध हो सकेंगे। खासकर ऐसे उपकरणों को इसमें जोड़ा गया है जिसके माध्यम से पराली को खेतों में ही टुकड़े कर एक डि-कंपोस्ट के रूप में प्रयोग किया जा सके।
जागरण संवाददाता, करनाल : फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत जिले में अब तक 167 कस्टम हायरिग सेंटर खोले जा चुके हैं। इन सेंटरों के माध्यम से किसानों को 80 प्रतिशत अनुदान पर कृषि उपकरण व यंत्र उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। इन केंद्रों पर किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए उपकरण व यंत्र सहजता से उपलब्ध हो सकेंगे। खासकर ऐसे उपकरणों को इसमें जोड़ा गया है जिसके माध्यम से पराली को खेतों में ही टुकड़े कर एक डि-कंपोस्ट के रूप में प्रयोग किया जा सके। पिछले दिनों एनजीटी की ओर से फसल अवशेष जलाने पर राज्यों को पहले से ही कड़े निर्देश दिए जा चुके हैं। यह बातें कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. आदित्य डबास ने कही।
उन्होंने कहा कि कस्टम हायरिग सेंटर के लिए किसानों के समूह, सहकारी समितियां, महिला किसान समूह, पंजीकृत किसान समूह, स्वयं सहायता समूह व पैक्स आदि आवेदन कर सकते हैं। कस्टम हायरिग सेंटर स्थापित करने के लिए 10 जून से 10 जुलाई तक सायं 5 बजे तक ऑनलाइन आवेदन किए जा सकते हैं।
मक्का लगाने पर मिल रहा प्रति एकड़ 5286 रुपये का लाभ
जल ही जीवन है योजना को प्रदेश सरकार ने धान क्षेत्र से संबंधी सात जिलों में लागू कर दिया है। पहले यह योजना जिलों के एक-एक ब्लॉक में लागू थी। अब अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, करनाल और सोनीपत में लागू की गई है। इन जिलों के किसानों को मक्का लगाने पर प्रति एकड़ 5286 रुपये मिलेंगे। मक्का के एक-एक दाने की खरीद भी सरकार करेगी।
डबास ने बताया कि विभाग की ओर से भू-जल को बचाने के लिए धान क्षेत्र के किसानों को धान की सीधी बिजाई करने पर प्रति एकड़ 5 हजार रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी। भूमि का जल स्तर लगातार घटता जा रहा है, इसलिए फसल विविधिकरण को अपनाकर लाखों लीटर पानी की बचत की जा सकती है।
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