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..एक जोरदार झटका, और बस में आ गया भूचाल

बस हादसे की कहानी, पीड़ितों की जुबानी जागरण संवाददाता करनाल बस करनाल अड्डे से निक

By JagranEdited By: Published: Wed, 02 Jan 2019 01:02 AM (IST)Updated: Wed, 02 Jan 2019 01:02 AM (IST)
..एक जोरदार झटका, और बस में आ गया भूचाल
..एक जोरदार झटका, और बस में आ गया भूचाल

बस हादसे की कहानी, पीड़ितों की जुबानी जागरण संवाददाता करनाल

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बस करनाल अड्डे से निकली ही थी। सब ठीक चल रहा था। सर्दी होने की वजह से हर कोई खुद में ही लिपटा था। फिर अचानक तेज धमाका जैसा हुआ। लगा बस में भूचाल आ गया। जो सीट पर थे, पलक झपकते ही एक-दूसरे के उपर पड़े थे। सामान बिखर गया। कुछ सीटों में फंसे तो कुछ के ऊपर सामान आ गिरा। रोने और चीखने की आवाज और ज्यादा डर पैदा कर रही थी। तकरीबन पांच मिनट तो ऐसे थे, जैसे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया। हर कोई बस ऐसे ही पड़ा था। करनाल इंद्री रोड पर रंबा के नजदीक बस नंबर एचआर55डब्ल्यू3182 पलट गई। बस में सवार यमुनानगर निवासी विशाल ने बताया कि समझ में ही नहीं आ रहा था कि करना क्या है? उन्होंने बताया कि कई यात्रियों के सिर आगे की सीट से टकरा गए थे। एक दो को खून भी आ रहा था। ठंड की वजह से चोट का अहसास भी ज्यादा हो रहा था। ग्रामीण मौके पर पहुंचे तो चला बचाव अभियान

क्योंकि बस पलट गई। अंदर कांच टूट कर बिखरा गया था। यात्री बाहर निकल नहीं पा रहे थे। ऐसे में आसपास के लोग तुरंत मौके पर आए। उन्होंने यात्रियों को बाहर निकालने में मदद की। घायलों को सड़क किनारे ही लेटाया गया। ग्रामीण विकास और संदीप ने बताया कि बस के अंदर यात्री डरे हुए थे। कई तो चल भी नहीं पा रहे थे। उन्हें बाहर निकालने में खासी दिक्कत आई। बस के आगे का शीशा भी टूट गया था। यहां भी यात्री निकाले गए। बस रोकने की कोशिश की पर कामयाबी नहीं मिली

सवारियों ने बताया कि बस की स्पीड ज्यादा नहीं थी। सामने से ट्रक आता देखकर ड्राइवर ने बचाव की पूरी कोशिश की। टक्कर लगने के बाद अनियंत्रित बस को रोकने की कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। बस पलटते हुए एक ओर घिसटती चली गई। सवारियों ने बताया कि यदि बस की स्पीड थोड़ी सी भी ज्यादा होती तो हादसा बहुत बड़ा हो सकता था। हादसा हमारे लिए तो रोज की बात

ग्रामीणों ने बताया कि इस रोड पर हादसा तो अब रोज की बात हो गई। यहां कभी कार तो कभी बाइक सवार और कभी बस टकरा ही रहे हैं। इसलिए अब बचाव कार्य करना उनके लिए रोजमर्रा का काम हो गया है। उन्होंने बताया कि शुरुआत में तो किसी घायल को देख कर डर लगता था। पर यहां तो हर रोज ही हादसा हो रहा है। हादसों ने उन्हें ऐसा बना दिया है कि वे बचाव कार्य पूरा कर हादसे को भूल जाते हैं।


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