जमाने ने हमें नसीबों के हवाले कर दिया..
कारवाने अदब की महफिल का आयोजन रविवार को करनाल क्लब में किया गया। इसमें करनाल तथा आसपास से पधारे कवियों शायरों तथा साहित्यकारों ने शिरकत की।
जागरण संवाददाता, करनाल : कारवाने अदब की महफिल का आयोजन रविवार को करनाल क्लब में किया गया। इसमें करनाल तथा आसपास से पधारे कवियों, शायरों तथा साहित्यकारों ने शिरकत की। सभी ने एक दूसरे को गले मिलकर महाशिवरात्रि एवं होली पर्व की शुभकामनाएं दी। महफिल के आगाज से पहले सभी ने राष्ट्रगान गाकर देश में आपसी भाईचारा कायम होने की कामना की। महफिल की अध्यक्षता अशोक मिश्रा ने की, जबकि विशिष्ट अतिथि जयदीप सिंह तुली रहे। मंच संचालन भारत भूषण वर्मा ने किया तथा आशीर्वाद आचार्य महावीर प्रसाद शास्त्री ने दिया।
महफिल में डॉ. एसके शर्मा ने कहा जमाने ने हमें नसीबों के हवाले कर दिया जहां चाहे जिधर चाह पकड़ कर हाथ ले जाएं। अंजु शर्मा ने कहा मौजे हवादिश से खेलता है जो बहार, दुश्वारिया उनकी सभी आसान होती जाएगी। भारत भूषण वर्मा ने कहा चार दिन का खेल भूषण, जिदगी का क्या पता, क्या मजा रुठने में मान जाना चाहिए। सुरेंद्र मरवाहा ने कहा जहां से तेज हवाओं का आना जाना है, हमारी जिद है, वहीं पर दिया जलाना है। शशि शर्मा ने कहा जिदगी मुश्किल नहीं, ना आसान सी है।
मुनिराज शर्मा ने कहा कहा पर बोलना है और कहां पर बोल जाते हैं, जय भारद्वाज ने कहा कि कल जो होगा देख लेंगे, आज अब की बात कर। सुभाष मेहरचंद ने कहा कितना चाहा है, तुझे जाकर पूछ हर दरगाह का खुदा तेरा नाम जानता है।
जयदीप सिंह तुली ने कहा कि सलीके से दिलों में गुलाब महकाया है। राजेंद्र नाथ शर्मा ने कहा कि होलिका में बरसे बहार जो न रंग सतरंगिया। साबिर खान ने कहा कि मेरे एहसास का शिद्दत ने मिले, या मुझे हुक्में कनायत ने मिले।
अशोक मिश्रा ने कहा कि चिराग ऐसे रोशन करो जो आंधियों में काम आएं। जगदीश तनेजा ने कहा किसी पर क्या गुजरती है, कोई अनजान क्या जाने। अशोक वशिष्ठ ने कहा कि फूल के संग तितलिया, भंवरे मचलते ही रहे। गुरमुख सिंह वडैच ने कहा कि शुद्धभाव से तेरा ध्यान लगायें हम। कुलविंद्र विर्क ने कहा कि दुर्वा भी कहे, फूलों की तरह खिलते रहना। इस मौके पर बड़ी संख्या में कवि, लेखक और श्रोता मौजूद रहे।