90 लाख के नाले में न सीमेंट सही न सरिया
जागरण संवाददाता, करनाल : माल रोड पर बन रहे 90 लाख के नाले में न सीमेंट सही लग रहा है और न सरिया। नगर
जागरण संवाददाता, करनाल : माल रोड पर बन रहे 90 लाख के नाले में न सीमेंट सही लग रहा है और न सरिया। नगर निगम के इस प्रोजेक्ट में क्वालिटी से सरेआम समझौता हो रहा है। संबंधित जेई व अन्य अधिकारी कटौती की बात तो कह रहे हैं, लेकिन सही क्वालिटी का इस्तेमाल क्यों नहीं हो रहा है, इसका जवाब उनके पास भी नहीं है।
दरअसल, निगम के प्रोजेक्ट में टिसको, सेल, आरआइएनएल, आईआईएससीओ व ¨जदल पेंथर का सरिया ही इस्तेमाल हो सकता है, जबकि नाले में लगाया जा रहा है अंबा व जय भारत कंपनी का सरिया। सीमेंट भी ओपीसी 43 ग्रेड के बजाय पीपीसी 53 ग्रेड का इस्तेमाल हो रहा है। निगम अधिकारी चाहें तो ठेकेदार से जवाब मांग सकते हैं, लेकिन वह नरमी बरत रहे हैं। एक्शन तो आज लेना चाहिए। जेई भविष्य में कार्रवाई की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं। जाहिर सी बात है कि इस मैटिरियल से नाले की मजबूती पर असर तो पड़ेगा।
कटौती जरूरी या क्वालिटी
जागरण ने जब इस बारे में जेई प्रदीप को बताया तो उन्होंने इसे रूटीन की बात बताते हुए कहा कि इसके लिए ठेकेदार की पेमेंट में से कटौती कर लेंगे। सवाल उठता है कि कटौती जरूरी या क्वालिटी? क्या ठेकेदार के पैसे काटने से क्वालिटी दुरुस्त हो जाएगी।
इन पांच कंपनी का सरिया ही मान्य
निगम के प्रोजेक्ट में केवल टिसको, सेल, आरआइएनएल, आइआइएससीओ व ¨जदल पेंथर कंपनी का सरिया ही लगाया जा सकता है। एचएसआर में केवल इन्हीं कंपनियों को शामिल किया गया है। इसके अलावा यदि दूसरी कंपनी का सरिया लगाया जाता है तो छह हजार रुपये प्रति मीट्रिक टन के हिसाब से कटौती की जाती है। बशर्ते यह सरिया आइएसआइ मार्का हो। वहीं सीमेंट केवल ओपीसी-43 ग्रेड ही इस्तेमाल करना होता है। ऐसा नहीं करने पर 25 रुपये प्रति बैग की कटौती का प्रावधान है। अब जानिए पर्दे के पीछे का असली खेल
दरअसल, एचएसआर में जिन कंपनियों का स्टील और सीमेंट का जिक्र है वह महंगा आता है, जबकि दूसरी कंपनियों का मैटिरियल लगाकर ठेकेदार मोटा मुनाफा कमाने की जुगत में रहते हैं। जो अधिकारी अब कटौती की बात कर रहे हैं। पेमेंट के समय पैसे काटे जाएंगे या नहीं यह उन पर ही निर्भर करेगा।
कटौती का आधार क्या : शिवम शर्मा
आरटीआइ एक्टिविस्ट एडवोकेट शिवम शर्मा ने सवाल किया कि यह कैसे पता लगेगा कि किस प्रोजेक्ट में कितना सही सरिया लगा है, कितना दूसरी कंपनी का। सीमेंट के कितने बैग ओपीसी-43 ग्रेड के लगाए, यह पता करना भी आसान नहीं है। जब मात्रा का ही पता नहीं होगा तो कटौती का बेस क्या रहेगा। यह तो सरेआम ठेकेदार को मुनाफा पहुंचाने की स्कीम है। इससे तो साफ है कि हर प्रोजेक्ट में यही खेल होता होगा। सभी की विजिलेंस जांच होनी चाहिए। जेई प्रदीप से सीधी बात
सवाल : नगर निगम के प्रोजेक्ट में किस कंपनी का सरिया और सीमेंट लगाना होता है?
जवाब : मुझे ध्यान नहीं है। एचएसआर बुक देखनी पड़ेगी। वैसे आपको तो सब पता ही है। सवाल : माल रोड के नाले में अंबा कंपनी का सरिया और पीपीसी सीमेंट लगाया जा रहा है?
जवाब : कुछ देर सोचकर। कोई बात नहीं इनकी पेमेंट में से कटौती कर देंगे। सवाल : ऐसा करने से रोका क्यों नहीं जा रहा। क्या केवल कटौती से क्वालिटी मेनटेन हो जाएगी?
जवाब : कोई जवाब नहीं।