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हफ्ते में जवाब नहीं दिया तो 80 क्लीनिक और अस्पताल होंगे सील

फ्लैग: बायोमेडिकल वेस्ट का सही निस्तारण नहीं करने पर पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने जारी किए थे

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Jan 2019 02:03 AM (IST)Updated: Mon, 07 Jan 2019 02:03 AM (IST)
हफ्ते में जवाब नहीं दिया तो 80 क्लीनिक और अस्पताल होंगे सील
हफ्ते में जवाब नहीं दिया तो 80 क्लीनिक और अस्पताल होंगे सील

जागरण संवाददाता, करनाल

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बायोमेडिकल वेस्ट के सही प्रकार से निस्तारण नहीं करने के मामले में प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड 23 सरकारी सहित 106 अस्पतालों को नोटिस जारी कर चुका है। नोटिस जारी करने के बाद अभी भी महज 25 फीसद ने ही रिप्लाइ फाइल किया है। अब यदि एक हफ्ते के भीतर शेष 80 क्लीनिक और अस्पतालों ने रिप्लाइ फाइल नहीं किया या अथॉराइजेशन के लिए अप्लाई नहीं किया तो प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड इन्हें सील करने की कार्रवाई कर सकता है। इन्वायरमेंट प्रोटेक्शन एक्ट के तहत यह कार्रवाई संभव है। बोर्ड के नोटिस जारी करने के बाद अस्पताल संचालकों में खलबली मच गई है। सरकारी अस्पतालों के इंचार्जो पर भी गाज गिर सकती है।

गौरतलब है कि 29 दिसंबर को प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने करनाल के 23 सरकारी सहित 106 निजी क्लीनिक और अस्पतालों को नोटिस जारी किया था। इसके बाद अस्पताल संचालकों ने रिप्लाई फाइल करना शुरू किया है। तीन साल में लेना होता है अथॉराइजेशन सर्टिफिकेट

क्लीनिक और अस्पतालों को तीन साल में प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से अथॉराइजेशन सर्टिफिकेट लेना होता है। इसमें बायोमेडिकल वेस्ट के लिए सर्विस प्रोवाइडर कंपनी की जानकारी देनी होती है। इस प्रक्रिया से प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को यह पता चलता है कि कोई अस्पताल बायोमेडिकल वेस्ट का निस्तारण कर रहा है या फिर उसे बाहर कूड़े के ढेर में भेजा जा रहा है। निजी अस्पतालों को सर्विस प्रोवाइडर कंपनी या एजेंसी को हायर करना पड़ता है। ये हैं नियम?

सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए उचित इंतजाम करना होता है। इंसीनेरेटर में ही इसे नष्ट करना होता है। मेडिकल कॉलेज में में टेंडर हो चुका है। वेस्ट को डिस्पोज ऑफ करने के लिए कंपनी को टेंडर दिया जाता है। कंपनी की ओर से कूड़ा उठाने के साथ ही अस्पतालों को वेस्टेज बैग, प्रोटेक्शन यूनिट, मास्क, केमिकल की सप्लाई करने की भी जिम्मेदारी है। बायोमेडिकल वेस्ट के नियम

-अस्पताल मैनेजमेंट को अस्पताल से निकलने वाला वेस्ट तीन हिस्सों में बांटना होता है।

-ब्लड, मानव अंग जैसी चीजों को लाल डिब्बे में डालना होता है।

-कॉटन, इंजेक्शन, दवाओं को पीले डिब्बे में डाला जाता है।

-मरीजों के खाने की बची चीजों को हरे डिब्बे में डाला जाता है।

- इन डिब्बे में लगी पोलिथिन के आधे भरने के बाद इसे पैक करके अलग रख दिया जाता है, जहां इंफेक्शन की आशंका न हो। इसलिए अनिवार्य किया गया सर्टिफिकेट

क्लीनिक और अस्पतालों से निकलने वाला बायोमेडिकल वेस्ट खुले में कूड़े के ढेर में डाला जाने लगा, जोकि इन्वायरमेंट प्रोटक्शन एक्ट का उल्लंघन है। अस्पताल खर्च से बचने के लिए बायोमेडिकल वेस्ट का टेंडर नहीं देते थे। इसे अनिवार्य किया, लेकिन इसके बाद भी रास्ता निकाल लिया। एक बार जिन अस्पतालों ने एजेंसी हायर कर एक बार बोर्ड से सर्टिफिकेट ले लिया उसके बाद मुड़कर नहीं देखा। स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल

इस मामले में सबसे बड़ा सवाल स्वास्थ्य विभाग पर खड़ा हो रहा है, क्योंकि जिन पर सरकारी नियमों को फॉलो कराने की जिम्मेदारी है, वह खुद ही उल्लंघन कर रहे हैं। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की ओर से जारी 23 पीएचसी और सीएचसी की लिस्ट यह सब सवाल खड़े कर रही हैं। जवाब देने में स्वास्थ्य विभाग ही लापरवाह

मेडिकल आफिसर कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर, इंद्री

मेडिकल आफिसर प्राइमरी हेल्थ सेंटर, भादसों

मेडिकल आफिसर प्राइमरी हेल्थ सेंटर, घीड़

मेडिकल आफिसर प्राइमरी हेल्थ सेंटर, खुखनी

मेडिकल आफिसर प्राइमरी हेल्थ सेंटर, कुंजपुरा

मेडिकल आफिसर प्राइमरी हेल्थ सेंटर, मधुबन करनाल

मेडिकल आफिसर प्राइमरी हेल्थ सेंटर, निगदू

मेडिकल आफिसर प्राइमरी हेल्थ सेंटर, जुंडला

मेडिकल आफिसर प्राइमरी हेल्थ सेंटर, सांभली

सीनियर मेडिकल आफिसर कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर, नि¨सग

सीनियर मेडिकल आफिसर कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर, घरौंडा

प्राइमरी हेल्थ सेंटर, कुटेल

प्राइमरी हेल्थ सेंटर, चौरा

प्राइमरी हेल्थ सेंटर, बरसत

-प्राइमरी हेल्थ सेंटर, गगसीना

-सीनियर मेडिकल आफिसर कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर, असंध

-प्राइमरी हेल्थ सेंटर, सालवन

-प्राइमरी हेल्थ सेंटर, जलमाना

-प्राइमरी हेल्थ सेंटर, उकलाना, असंध

-प्राइमरी हेल्थ सेंटर, पोपरा, असंध वर्जन

दिसंबर माह में हमने उन क्लीनिक और अस्पतालों को नोटिस जारी किए थे जो बायोमेडिकल वेस्ट का सही प्रकार से निस्तारण नहीं कर रहे। कुल 106 में से 30 ने ही रिप्लाई फाइल किया है। 80 क्लीनिक और अस्पताल ऐसे हैं जिनको कोई रिस्पोंस नहीं आया है। ऐसे में एक सप्ताह के लगभग समय बचा है। इस दौरान रिप्लाइ नहीं आया तो इन्वायमेंट प्रोटक्शन एक्ट के तहत सील करने की कार्रवाई हो सकती है।

शैलेंद्र अरोड़ा, एसडीओ पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड।


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