1.70 लाख हेक्टेयर में होगी गेहूं की बिजाई, 15 नवंबर तक अगेती की कर सकते हैं बिजाई
कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. आदित्य प्रताप डबास ने कहा, 15 नवंबर के बाद बिजाई करते हैं त
कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. आदित्य प्रताप डबास ने कहा, 15 नवंबर के बाद बिजाई करते हैं तो बदल दें बीज की किस्म जागरण संवाददाता, करनाल
इस बार जिले में 1.70 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बिजाई की जाएगी। अगेती किस्मों की बिजाई किसानों ने शुरू कर दी है। किसान जब तापमान 21 से 23 डिग्री के बीच हो, तब गेहूं बिजाई कर सकते हैं। अमूमन गेहूं बिजाई का समय एक नवंबर से शुरू होता है, लेकिन कुछ किसानों ने अक्टूबर में गेहूं की बिजाई की है।
इस किस्म की कर सकते हैं बिजाई : भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के मुताबिक समय पर बिजाई के लिए किसान एचडी-2967, डब्ल्यूएच-1105, एचडी-3086, डीबीडब्ल्यू-88, एचडी-सीएसडब्ल्यू-18, पीबीडब्ल्यू-550 किस्मों की बिजाई कर सकते हैं। किसान अब भी कई प्रकार की गेहूं की किस्मों की बिजाई कर सकते हैं। ये पछेती हैं और इनकी बिजाई कर अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है।
दिक्कत हो तो करें संपर्क
डिप्टी डायरेक्टर एग्रीकल्चर डॉ. आदित्य प्रताप डबास के मुताबिक किसान यदि समय पर बिजाई करें तो उत्पादन भी अच्छा होगा। खाद और बीज की किसी भी प्रकार की दिक्कत है तो किसान उन्हें कार्यालय में मिल सकते हैं। दीमक से ऐसे करें बचाव
वैज्ञानिकों के अनुसार दीमक से बचाव के लिए बिजाई से एक दिन पहले 150 मिलीलीटर क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी पानी में मिलाकर कुल पांच लीटर घोल बनाएं पक्के फर्श पर 100 किलोग्राम गेहूं को फैलाकर इस घोल से उपचारित करें। बुआई से पहले डाल सकते हैं गोबर की खाद
बुआई से पहले गोबर की खाद पांच से 10 टन प्रति हेक्टेयर की दर से मृदा में अच्छी तरह से मिलाएं। देरी से बोए जाने वाले गेहूं में कम खाद की जरुरत होती है। प्रति हेक्टेयर 90 से 120 केजी नत्रजन, 60 केजी फास्फोरस, 40 केजी पोटाश इस्तेमाल करें। कृषि विशेषज्ञ की सलाह भी लें। कम नमी में न करें बिजाई
किसान जमीन में नमी की कमी हो तो सबसे पहले बुआई पूर्व की ¨सचाई करें। जीरो टीलेज जुताई तकनीक से बुआई करें। यदि खेत तैयार करना आवश्यक है तो जब जमीन जुताई योग्य हो जाए तो मिट्टी पलटने वाले हल से या डिस्क हैरो से एक गहरी जुताई करने के बाद कल्टीवेटर से खेत की जुताई करें। हर जुताई के बाद पाटा जरूर लगाएं। समय से चूक जाएं तो यह पछेती किस्में आएंगी काम
एचडी-3059: पछेती बिजाई अधिक पछेती बिजाई में अधिक पैदावार देने वाली किस्म है। यह बौनी है और 121 दिन में पक जाती है। दाना पकते समय होने वाली गर्मी लवणों को सहने में सक्षम है। यह किस्म रतुआ अवरोधी है। इसकी पौष्टिक गुणवत्ता अच्छी है और प्रोटीन प्रचूर मात्रा में होते हैं। औसत पैदावार 17 ¨क्वटल प्रति एकड़ है। राज-3765 : यह पिछेती बिजाई में अधिक पैदावार देने वाली किस्म है। यह एक बौनी किस्म है। जिसके तने सघन तथा अधिक फुटाव वाले होते हैं। इसका तना मजबूत होता है।इसकी पत्तियां सघन, नुकीली पकने पर सफेद होती हैं। इसमें पीला रतुआ कम लगता है और इसकी औसत पैदावार 16 ¨क्वटल प्रति एकड़ है। वैज्ञानिक सलाह भी लें। डब्ल्यूएच-1021: यह भी बौनी किस्म है होती है। यह गिरती नहीं है और पौधे सघन तथा अधिक फुटाव वाले होते हैं। बालियां लंबी, दाने मध्यम आकार के, सख्त शरबती रंग के होते हैं। किस्म गेहूं की प्रमुख बीमारियों के प्रति रोधक है। यह 121 दिनों में पक जाती है। दाना पकते समय होने वाली गर्मी लवणों को सहने में सक्षम है। इसकी औसत पैदावार 15.6 ¨क्वटल प्रति एकड़ है। इसकी बिजाई के लिए बीज की मात्रा 50 किलोग्राम रखें। डीबीडब्ल्यू-90: यह बौनी किस्म है जो 121 दिनों में पक जाती है दाना पकते समय होने वाली गर्मी लवणों को सहने में सक्षम है। यह पछेती बिजाई में अधिक पैदावार देने वाली किस्म है। यह किस्म रतुआ अवरोधी है चपाती बिस्किट ब्रेड बनाने के लिए उपयुक्त है। इसकी पौष्टिक गुणवत्ता अच्छी है और औसत पैदावार 17.1 ¨क्वटल प्रति एकड़ है। डब्ल्यूएच-1124 : यह किस्म अधिक पैदावार गुणवत्ता वाली नई किस्म है। इसकी औसत ऊंचाई 91 सेंटीमीटर हे पौधे सघन तथा अधिक फुटाव वाले होते हैं। इसका तना मजबूत है इसलिए यह गिरती नहीं है। बालियां मध्यम लंबी, दाने मध्यम आकार के सख्त शरबती रंग के होते हैं। यह किस्म गेहूं की प्रमुख बीमारियों के प्रतिरोधी है। इसकी पौष्टिक गुणवत्ता अच्छी है। यह 121 दिनों में पक जाती हे दाना पकते समय होने वाली गर्मी को सहन करने में सक्षम है।