मेरा खुला आसमां नामक कार्यक्रम के तहत 100 छात्राओं का किया जाएगा चयन : जे गणेशन
जागरण संवाददाता, करनाल : कालीदास रंगशाला में मेकर्स बॉक्स आइडिया और जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वाव
जागरण संवाददाता, करनाल :
कालीदास रंगशाला में मेकर्स बॉक्स आइडिया और जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में मेरा खुला आसमां नाम से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें करनाल खंड के विभिन्न सरकारी स्कूलों की लगभग एक हजार बेटियों ने भाग लिया। इस मौके पर उपस्थित डॉ. जे. गणेशन ने कहा कि खुला आसमां नामक यह कार्यक्रम गावों के स्कूलों में पढ़ रही लड़कियों के लिए आयोजित किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य देहात के बच्चों में छिपी प्रतिभा को समझना और उनकी रुचि अनुरूप उनका मार्गदर्शन करना है।
डीसी ने कहा कि इस कार्यक्रम में भाग ले रही लड़कियों में से बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली 100 लड़कियों का चयन किया जाएगा। जिन्हें आगामी 24, 25 दिसंबर को आयोजित होने वाले कार्यक्रम में बुलाकर जिला प्रशासन और मेकर्स बॉक्स की ओर से संयुक्त रूप से प्रमाणपत्र दिए जाएंगे। सभी प्रतिभागी लड़कियों को एक फॉर्म भरने के लिए दिया गया है। जिसमें प्रतिभागी लड़कियां अपना पूरा ब्यौरा भरकर कंपनी के पास जमा करवा देंगी। उन्होंने बताया कि कंपनी द्वारा 100 में से उम्दा प्रदर्शन करने वाली तीन लड़कियों को शिक्षा क्षेत्रों में मदद की जाएगी। लगभग चार घंटे तक चले इस कार्यक्रम में मेकर्स बॉक्स आइडिया कंपनी के गगन सपड़ा, हरजीत सपड़ा, वरूण, जसजीत, हरकृष्ण सहित कई लोगों ने बच्चों को साईस से जुड़ी बुनियादी और घरेलू तकनीक की जानकारी से लेकर स्मार्ट फोन और लेपटॉप से संचालित कई विषयों की गहनता से जानकारी दी। गगन ने 12वीं कक्षा तक की इन छात्राओं से कई सवाल पूछे, बच्चों से पूछा गया कि यदि घर में कोई इलेक्ट्रॉनिक चीज टूट जाती है तो उसका दोबारा कैसे प्रयोग कर सकोगे?
बच्चों ने किया खुलकर संवाद
मेकर्स बॉक्स के वरूण ने टूटी हुई इलेक्ट्रॉनिक की चीजों के सहयोग से ड्रॉन बनाने संबंधी विषय पर बच्चों के साथ खुलकर संवाद किया। वरूण का कहना था कि वह एयर फोर्स के स्कूल में पढ़ता था, इसलिए कुछ नया करने की जिज्ञासा थी और 12वीं कक्षा तक जाते-जाते एक ऐसा ड्रॉन तैयार किया। जिससे मुझे आत्म संतुष्टी मिली। स्कूली छात्राओं के बीच उन्होंने इस ड्रॉन को उड़ा कर भी दिखाया। इसी बीच छात्राओं से सवाल करते हुए पूछा गया कि इसके क्या-क्या फायदे हो सकते हैं? किसान की बेटी आसिमा ने पूछा कि क्या इससे खेत में बीज भी बोए जा सकते हैं? तो वरूण का कहना था कि पांच से सात किलो वजन उठाकर यह 100 किमी. प्रति घंटा तक की रफ्तार से चल सकता है। छात्राओं आशू और भारती ने भी इलेक्ट्रॉनिक चीजों के उपयोग के बारे में ज्ञानवर्धक बातें बताई।
स्कूल की छात्रा शोभा ने हवा भरने वाले पम्प के माध्यम से हवा के दबाव विषय पर अपने विचार सांझा किए। इस मौके पर एडीसी गिरीश अरोड़ा, सीटीएम सतीश कुमार, पीओआइसीडीएस रजनी पसरीचा सहित तमाम स्कूलों की अध्यापिकाएं भी उपस्थित थी।
छात्राओं ने हौंसले से दिया जवाब
आयोजकों के सवालों का जवाब स्कूली छात्राओं ने हौंसले के साथ दिया। उनका उत्साह देखते ही बनता था। कई छात्राओं के हरियाणवी लहजे में जवाब सुनकर मेकर्स हक्के-बक्के रह गए। मेकर्स हरजीत कौर द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में 12वीं कक्षा की कोमल ने बताया कि घर में फोन का चार्जर टूट गया था, एक चार्जर पहले ही घर में खराब पड़ा था, एक चार्जर से तारें और जरूरत का सामान निकाल कर दूसरे में लगा दिया और उसे ठीक कर दिया। कोमल के इस प्रयास की सराहना करते हुए बच्चों ने खूब तालियां बजाई। स्कूली छात्राओं का जज्बा और जोश देख कर आयोजकों ने तारीफ की। इसी बीच एक छात्रा गरिमा ने जवाब दिया कि हम देसी जुगाड़ से घर का काफी सारा सामान ठीक कर लेते हैं।
बाक्स
डीसी डॉ. जे गणेशन ने बताया कि करनाल में विज्ञान से संबंधित एक ऐसी लैब स्थापित करने पर विचार किया जा रहा है जिसमें सभी आधुनिक उपकरणों के संबंध में ज्ञानवर्धक जानकारी देने की व्यवस्था होगी। इस संदर्भ में शीघ्र ही एक खाका तैयार किया जाएगा। इसके अलावा मेकर्स द्वारा बच्चों को फलों से ऊर्जा बटोरने की विधि भी बताई, सेब, संतरा, अमरूद और किन्नू जैसे फलों को तार के माध्यम से ताम्बे के ¨रग में कनेक्शन देकर घंटी बजने की आवाज भी छात्राओं के बीच आकर्षण का केन्द्र ¨बदू रही। मेकर्स द्वारा निर्मित ड्रान ने लगभग सात मिनट कालीदास रंगशाला के बीच चक्कर लगाए। धीमी धुंध के बीच घुमता ड्रान मनमोहक लग रहा था, रंगशाला में बैठी स्कूली छात्राओं की गुंज दृश्य को बहुत ही आकर्षक बना रही थी।