जन सूचना अधिकार कानून के सहारे भ्रष्टाचार से लड़ रहा गांव रसूलपुर का जयपाल
2012 में 20 वर्ष की उम्र में कॉलेज के दिनों से ही गांव रसूलपुर निवासी जयपाल ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई शुरु कर दी। इस लड़ाई में उन्हें सबसे अधिक किसी का साथ मिला है तो वह जन सूचना अधिकार कानून है। कॉलेज में पढ़ते पढ़ते उन्होंने गांव में जब भ्रष्टाचार पनपते देखा तो सरपंच के खिलाफ ही आरटीआइ लगा दी। सरपंच व कुछ पंचों पर भ्रष्टाचार के आरोप सही पाए गए। सरपंच व पंचों को सस्पेंड करवाने के साथ ही उन्होंने चार लाख की रिकवरी भी करवाई।
जागरण संवाददाता, कैथल : 2012 में 20 वर्ष की उम्र में कॉलेज के दिनों से ही गांव रसूलपुर निवासी जयपाल ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई शुरु कर दी। इस लड़ाई में उन्हें सबसे अधिक किसी का साथ मिला है तो वह जन सूचना अधिकार कानून है। कॉलेज में पढ़ते पढ़ते उन्होंने गांव में जब भ्रष्टाचार पनपते देखा तो सरपंच के खिलाफ ही आरटीआइ लगा दी। सरपंच व कुछ पंचों पर भ्रष्टाचार के आरोप सही पाए गए। सरपंच व पंचों को सस्पेंड करवाने के साथ ही उन्होंने चार लाख की रिकवरी भी करवाई। इसके लिए उन्हें चंडीगढ़ हाईकोर्ट तक जाना पड़ा। अभी मामला कोर्ट में विचाराधीन है। इसके अलावा उन्होंने ग्रामीणों को सौ-सौ गज के प्लॉट दिलाने के लिए आरटीआइ का इस्तेमाल किया। सभी को प्लॉट दिलवाए और रजिस्ट्री करवाई। इसके अलावा गांव की जमीन को पट्टे पर दिए जाने के विरोध में लड़ाई लड़ते हुए कब्जा मुक्त करवाया। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत ¨सह को सजा सुनाए जाने के समय पुलिस वालों ने तलाशी और डेरे का झूठा रिकार्ड तैयार किया। इस मामले में वे दो पुलिस कर्मचारियों को चार्जशीट करवा चुके हैं, जिनके खिलाफ आगे की कार्रवाई चल रही है। इसके अलावा जन स्वास्थ्य विभाग में ठेकेदार से रिकवरी करवाई और थाने में केस भी उन्होंने दर्ज करवा दिया है। पढ़ते-पढ़ते जागी समाजसेवा की भावना
जयपाल खेलों में राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल अपने नाम कर चुका है। जब वह 2012 में आरकेएसडी कॉलेज से बीए कर रहा था। कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं के बारे में सुनकर जयपाल समाजसेवा के लिए बहुत उत्साहित हो जाता, लेकिन उस समय ज्यादा ज्ञान भी नहीं था। समय और अनुभव ने जयपाल को बहुत कुछ सिखाया। इस कार्य में सौ प्रतिशत देने के लिए उन्होंने बीए के बाद एमए की पढ़ाई की। अब वे कानूनी की पढ़ाई कर रहा हैं। भ्रष्टाचारी को सजा दिलाना है मकसद
जयपाल बताते हैं कि वे अब तक 500 से ज्यादा आरटीआइ विभिन्न विभागों में लगा चुके हैं। अकेले 2018 में उन्होंने 118 आरटीआइ लगाई हैं। वे कहते हैं कि आरटीआइ से उनका मकसद सुर्खियों में रहना नहीं है। उनका मकसद भ्रष्टाचारी को सलाखों के पीछे पहुंचाना हैं, ताकि अन्य को सबक मिले।
समाजसेवा करते करते जेल भी हुई व अनुबंध की नौकरी भी गंवाई
जयपाल कहते हैं यह राह आसान नहीं है, लेकिन अगर मन में कुछ करने का जज्बा हो तो कोई रोक नहीं सकता है। वे झूठे केस में पांच महीने जेल में बंद रहे हैं वहां भी उन्होंने बहुत कुछ सीखा। झूठे केस के कारण उन्हें खेल विभाग में अनुबंध आधार पर मिली ग्राउंडमैन की नौकरी भी गंवानी पड़ी।