पीपीई किट के बिना सैंपल नहीं लेते लैब तकनीशियन राकेश कुमार
सीएचसी कलायत में तैनात लैब तकनीशियन राकेश कुमार कोरोना योद्धा बनकर फ्रंट लाइन में काम कर रहे है। वे पिछले सवा साल से कोरोना के सैंपल ले रहे हैं। अब तक तीन हजार के करीब सैंपल ले चुके है।
जागरण संवाददाता, कैथल: सीएचसी कलायत में तैनात लैब तकनीशियन राकेश कुमार कोरोना योद्धा बनकर फ्रंट लाइन में काम कर रहे है। वे पिछले सवा साल से कोरोना के सैंपल ले रहे हैं। अब तक तीन हजार के करीब सैंपल ले चुके है। इनमें से 1500 के करीब संक्रमित मरीज मिल चुके हैं। सैंपल लेते समय विशेष सावधानी रखते है। पीपीई किट के बिना सैंपल नहीं लेते है। वे बताते है कि कोरोना एक खतरनाक बीमारी है। एक दूसरे से मिलने पर संक्रमित होने का खतरा रहता है। इससे बचने के लिए काफी सतर्कता बरतनी पड़ती है। गर्मी के मौसम में सैंपल लेना सबसे बड़ा मश्किल भरा रहता है। पीपीई किट में गर्मी बहुत ज्यादा होती है। रोजाना पहले सैंपल लेते है उसके बाद लैब में परीक्षण करते हैं, जो एंटीजन टेस्ट होते हैं। आरटी पीसीआर टेस्ट की पैकिग करके बड़ी सावधानी से कैथल सिविल अस्पताल में भेजते है। उनका कहना है कि शुरूआती दिनों में सैंपल लेने में डर लगा, लेकिन हम मन में इच्छा रहती है कि जल्द कोरोना संक्रमित की दवाई शुरू हो और स्वस्थ होकर घर लौटे।
यह है उनकी दिनचर्या :
राकेश कुमार बताते है कि सुबह आठ बजे सीएचसी पर पहुंच जाते है। उसके बाद साढ़े नौ बजे के करीब सैंपल लेना शुरू करते है। दिन में तीन बार सैंपल लेते है। आसपास के गांव के कंटेनमेंट जॉन से भी सैंपल लेकर आ रहे है। मास्क के बिना कभी घर व ड्यूटी पर नहीं रहते है। घर पर जाने से पहले अच्छी तरह कपड़े साफ करते है। सैनिटाइजर करते है। उसके बाद घर जाकर भी स्नान करते है। परिवार के सदस्यों से ज्यादा से ज्यादा दूरी बनाकर रह रहे है। अलग कमरे में रहते है। उनका कहना है कि कोरोना से बचने के लिए कोविड के नियमों का पालन करना जरूरी है। घर से तभी बाहर निकले जब आवश्यक कार्य हो।