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रिमांड पर अरोपितों से एटीएम बदलकर 3.5 लाख की हड़पी राशि बरामद

बडसिकरी गांव खुर्द निवासी एक पूर्व सैनिक की विधवा पत्नी के बैंक खाते से पांच लाख रुपये का गबन करने के मामले का राजफाश हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Dec 2019 09:57 AM (IST)Updated: Wed, 18 Dec 2019 09:57 AM (IST)
रिमांड पर अरोपितों से एटीएम बदलकर 3.5 लाख की हड़पी राशि बरामद
रिमांड पर अरोपितों से एटीएम बदलकर 3.5 लाख की हड़पी राशि बरामद

जागरण संवाददाता, कैथल : बडसिकरी गांव खुर्द निवासी एक पूर्व सैनिक की विधवा पत्नी के बैंक खाते से पांच लाख रुपये का गबन करने के मामले का राजफाश हुआ है। सीआइए वन पुलिस ने गिरफ्तार अंतरराज्जीय गिरोह के दो सदस्यों से रिमांड के दौरान हड़पी गई 3 लाख 50 हजार रुपये की व वारदात में प्रयुक्त स्विफ्ट गाड़ी, क्लोन एटीएम कार्ड तैयार करने में प्रयुक्त किए जा रहे कार्ड रीडर व कार्ड राइटर भी बरामद किए। वारदात में लिप्त गिरोह के तीसरे आरोपित को भी गिरफ्तार कर लिया है। वहीं गिरोह के चौथे आरोपित की पहचान कर ली गई, जिसकी गिरफ्तारी को लेकर जांच की जा रही है। तीसरे आरोपित को न्यायिक हिरासत में भेजा है, जबकि गिरोह के सरगना को कोर्ट में पेश कर दो दिन के पुलिस रिमांड पर लिया है। आरोपित ने करीब 45 वारदातों को अंजाम देना स्वीकार किया है।

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एसपी विरेंद्र विज ने बताया कि क्राइम ब्रांच प्रथम के इंचार्ज इंस्पेक्टर अनूप सिंह की टीम ने गिरोह के सरगना राजेंद्र सिंह उर्फ सिद्र निवासी गांव कनोह हाल तारानगर बरवाला के मकान से तीन लाख रुपये के करंसी नोट बरामद किए। दूसरे आरोपित नरेश उर्फ नेसी निवासी राजथल के मकान से 50 हजार रुपये के नोट बरामद किए। मामले को लेकर 17 अक्टूबर को थाना कलायत में गांव बडसिकरी खुर्द निवासी सैनिक की विधवा महिला सुदेश की शिकायत पर मामला दर्ज किया था। सीआइए-वन पुलिस ने वारदात में लिप्त गिरोह के तीसरे सदस्य विनोद कुमार निवासी ओरनगर बवानी खेड़ा जिला भिवानी को भी गिरफ्तार कर लिया। आरोपित विनोद ने बताया कि गिरोह के सदस्यों से जान पहचान हुई तो उन्होंने शार्टकट तरीके से अमीर बनने का तरीका बताया। उसने अपनी गाड़ी वारदात के लिए गिरोह को उपलब्ध करवाना शुरु कर दिया, एवज में वारदात के बाद उसे हिस्सा मिल जाता। यह गिरोह करीब 10 वर्षो से हिसार, करनाल, तरावडी, नरवाना सहित हरियाणा, पंजाब, दिल्ली व राजस्थान के शहरों में धोखाधड़ी की वारदात को अंजाम दे चुके हैं।

इस तरह से देते हैं वारदात को अंजाम

पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि एटीएम केबिन में अनपढ़ व भोले लोगों को बातों में लगाकर मदद के बहाने उनके एटीएम का पिनकोड देख लेते हैं, इसके बाद अपने हाथ में छोटे स्वाइप डिवाइस से स्वाइप करके उपभोक्ता के एटीएम कार्ड का क्लोन तैयार कर लेते हैं। स्वाइप करते ही एटीएम का सारा डाटा स्वाइप डिवाइस में अपलोड हो जाता है, तथा डिवाइस ब्लूटूथ के माध्यम से उनके मोबाइल फोन से कनेक्ट होता है। मोबाइल में एमएसआर नाम की एप्लीकेशन होती है। घर जाकर वे कार्ड राइटर को एमएसआर एप्लीकेशन से कनेक्ट करके स्वाइप किए एटीएम कार्ड के डाटा से दूसरा क्लोन एटीएम कार्ड तैयार कर लेते हैं, जबकि उस एटीएम का पिनकोड वे पहले ही पहचान चुके होते हैं। इस प्रकार की धोखाधडी के दौरान उन्हें किसी ओटीपी नंबर की जरुरत नहीं पड़ती तथा वे जरुरत अनुसार अपने दूसरे बैंक एकाउंट में मनी ट्रांसफर कर लेते हैं।


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