नए चेहरे पर लगे दांव, प्रत्याशियों के बीच है दिलचस्प मुकाबले
जिले की चारों विधानसभा सीटों में से पूंडरी विधानसभा सीट की राजनीतिक हमेशा से ही अलग रही है। यहां के मतदाताओं ने पार्टी प्रत्याशियों की बजाए आजाद उम्मीदवारों को तव्वजो ज्यादा दी है। यहीं कारण रहा है कि अब तक हुए 12 विधानसभा चुनावों में छह बार आजाद प्रत्याशी इस सीट पर कब्जा करने में सफल रहे हैं और पिछले 25 सालों से तो पार्टी के चुनाव चिन्ह पर लड़े प्रत्याशी जीत को तरसते ही रहे हैं।
सुरेंद्र सैनी, कैथल : जिले की चारों विधानसभा सीटों में से पूंडरी विधानसभा सीट की राजनीतिक हमेशा से ही अलग रही है। यहां के मतदाताओं ने पार्टी प्रत्याशियों की बजाए आजाद उम्मीदवारों को तव्वजो ज्यादा दी है। यहीं कारण रहा है कि अब तक हुए 12 विधानसभा चुनावों में छह बार आजाद प्रत्याशी इस सीट पर कब्जा करने में सफल रहे हैं और पिछले 25 सालों से तो पार्टी के चुनाव चिन्ह पर लड़े प्रत्याशी जीत को तरसते ही रहे हैं।
इस बार के विधानसभा चुनाव में कुल 12 प्रत्याशियों में पांच निर्दलीय मैदान में हैं। इस चुनावी अखाड़े में इस बार कांटे का मुकाबला माना जा रहा है, सभी एक दूसरे को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। यह देख मतदाता भी हार-जीत का आकलन नहीं लगा पा रहे हैं की जीत का सेहरा किसके सिर सजेगा। हालांकि चार माह पहले हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यहां से 52 हजार के करीब वोटों से जीत दर्ज करते हुए बढ़त बनाई थी, जिसका फायदा इस विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों को मिल सकता है।
भाजपा ने इस बार चेहरा बदलते हुए सीएम मनोहर लाल के सबसे नजदीकी वेदपाल को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने पिछले चुनाव में निर्दलीय उतरे सतबीर भाणा को टिकट दिया है। जजपा ने इस क्षेत्र के सबसे बड़े गांव पाई निवासी राजू पाई पर दांव खेला है। सभी राजनीतिक दलों ने इस बार नए चेहरे मैदान में उतार हैं, वहीं कई निर्दलीय प्रत्याशी इस बार भी तीसरी से चौथी बार चुनावी दंगल में किस्मत आजमां रहे हैं।
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पूंडरी में 1 लाख 81 हजार 200 मतदाता
21 अक्टूबर को होने वाले मतदान में कलायत विधानसभा क्षेत्र से 1 लाख 81 हजार 200 मतदाता अपने मत का प्रयोग करेंगे। इनमें 97 हजार 18 पुरुष तो 84 हजार 181 महिला मतदाता हैं। 184 बूथ मतदान के लिए बनाए गए हैं। 62 के करीब गांव इस हलके में हैं। इस हलके का मतगणना केंद्र आइजी कॉलेज को बनाया गया है। इस बार 12 प्रत्याशी इस सीट पर चुनावी मैदान में है। अब तक कुल 12 विस चुनाव हुए हैं। पिछले चुनाव में कौशिक ने 19 प्रत्याशियों को पछाड़ते हुए पहला स्थान हासिल किया था। पहली बार 1968 में ईश्वर सिंह 438 वोट के अंतर से निर्दलीय के रूप में जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इसके बाद लंबे समय 1972 से 1991 तक सीट पर किसी न किसी दल का कब्जा रहा और निर्दलीय इस सीट से अछूते रहे। कौशिक ने पिछला चुनाव 4821 वोटों से जीता था। 2009 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे कौशिक को 34 हजार 878 वोट मिले थे। सुल्तान सिंह जड़ौला 38 हजार 929 वोट लेकर विजयी रहे। भाजपा उम्मीदवार रणधीर सिंह गोलन को 33 हजार 289 मत मिले थे। इस चुनाव में कौशिक व गोलन भाजपा की टिकट पर दावेदार थे, लेकिन टिकट न मिलने पर दोनों ही निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट के इतिहास में आज तक कोई भी प्रत्याशी 40 हजार वोटों के आंकड़े को नहीं छू सका है।
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लोस चुनाव में इस हलके में सबसे ज्यादा इनेलो को हुआ नुकसान
पूंडरी हलके में सबसे ज्यादा नुकसान इनेलो को हुआ है। इस लोकसभा चुनाव में इनेलो पांचवे स्थान पर रही। इनेलो को मात्र चार हजार 361 वोट मिले। जजपा-आप गठबंधन को पांच हजार 709 वोट मिले। बसपा-लोसपा को 11 हजार 802 व कांग्रेस को 24 हजार 209 वोट मिले। भाजपा ने यहां भारी बढ़त बनाई और 78 हजार 356 वोट मिले। पिछले लोकसभा चुनाव में इनेलो यहां तीसरे नंबर पर रही थी, लेकिन इस चुनाव में पांचवें पायदान पर खिसक गई है। विस चुनाव में भी इनेलो का इतना खराब प्रदर्शन नहीं था। वर्ष 1987 में इनेलो इस सीट को जीतने में सफल रही थी, लेकिन इसके बाद आज तक भी यहां से इनेलो का विधायक नहीं बना है। चार बार कांग्रेस का यहां विधायक बना, लेकिन भाजपा का आज तक भी खाता नहीं खुला है।
कब कौन बना यहां से विधायक बना
वर्ष नाम पार्टी
1967 आरपी सिंह कांग्रेस
1968 ईश्वर सिंह निर्दलीय
1972 ईश्वर सिंह कांग्रेस
1977 अग्निवेश जेएनपी
1982 ईश्वर सिंह कांग्रेस
1987 मक्खन सिंह लोकदल
1991 ईश्वर सिंह कांग्रेस
1996 नरेंद्र शर्मा निर्दलीय
2000 तेजबीर सिंह निर्दलीय
2005 दिनेश कौशिक निर्दलीय
2009 सुल्तान जड़ौला निर्दलीय
2014 दिनेश कौशिक निर्दलीय