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गांव छौत में सर छोटू राम की प्रतिमा का किया अनावरण

गांव छौत में सर छोटू राम की प्रतिमा का अनावरण किया गया। सरपंच विरेंद्र छौत ने कहा कि गांव में किसान- मजदूर के मसीहा सर छोटू राम की प्रतिमा स्थापित की गई है। गर्व की बात है कि हरियाणा की धरती पर सर छोटू राम ने जन्म लिया।

By Edited By: Published: Wed, 13 Jan 2021 06:45 AM (IST)Updated: Wed, 13 Jan 2021 06:45 AM (IST)
गांव छौत में सर छोटू राम की  प्रतिमा का किया अनावरण
गांव छौत में सर छोटू राम की प्रतिमा का अनावरण।

जागरण संवाददाता, कैथल : गांव छौत में सर छोटू राम की प्रतिमा का अनावरण किया गया। सरपंच विरेंद्र छौत ने कहा कि गांव में किसान- मजदूर के मसीहा सर छोटू राम की प्रतिमा स्थापित की गई है। गर्व की बात है कि हरियाणा की धरती पर सर छोटू राम ने जन्म लिया। सर छोटूराम देश के उन समाज सुधारों में से एक थे, जिन्होंने भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभाई। वह किसान का बेटा और देश के किसानों का रखवाला है। उनके गरीब और जरूरतमंद किसानों की भलाई राजनीति धर्म और जात-पात से ऊपर थी। उन्होंने अपना पूरा जीवन ऐसे ही गरीब तबके के लिए समर्पित रखा। उन्होंने युवाओं को देश की सेवा करने के लिए सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित किया। इस मौके पर कपूरचंद चौधरी, जगदीश धारीवाल, पंच रघुवीर व सुभाष, कर्मवीर धारीवाल, सतवीर ¨सह, गुरनाम ¨सह चौधरी मौजूद रहे। बेटियां हैं खुशबू, रिश्तों को देती हैं नई ऊंचाइयां.. जागरण संवाददाता, कैथल : जवाहर पार्क स्थित सेवा संघ के कार्यालय में हरियाणा लघु कविता मंच की कैथल इकाई द्वारा कवि गोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी में यशवीर आर्य विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। गोष्ठी का संचालन डा. प्रद्युम्न भल्ला ने किया। कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए श्याम सुंदर गौड़ ने कहा, द्वेष कपट की होली जलाइए, चंदन है माटी मेरे देश की। राज बेअक्ल ने कहा, बानगी कुछ इस तरह रही, नफरत से भी नफरत नहीं की मोहब्बत सिखा आया हूं मैं। मधु गोयल ने कहा, जोड़ रहा हूं भगवन तुमको अपने यह दोनों हाथ, नहीं छोड़कर जाना मुझको देते रहना साथ। डा.संध्या आर्य ने कहा, मुकम्मल दिन भी हो मेरा मुकम्मल रात भी तुम हो, मुकम्मल चुप भी हो मेरी मुकम्मल बात भी तुम हो। नीरू मेहता ने कहा, देकर रिश्वत लेकर रिश्वत बना डाली तुमने मौत की छत। यशवीर आर्य ने कहा, रोग लग गया है खुशमिजाजी का कोई दवा है तो बताओ मुझको। डा. प्रद्युम्न भल्ला ने अपनी लघु कविता प्रस्तुत करते हुए कहा, आग का धर्म होता है जलाना और जलाना मगर जलाने के लिए खुद कितना जलना पड़ता है पूछो जरा आग से, द्वेष नफरतों के दहकते अलाव से। गोष्ठी के अंत में डा. हरीश झंडई ने कहा, बेटियां हैं खुशबू रिश्तों को देती है नई ऊंचाइयां, आओ चलें कदम मिलाकर हम इन बेटियों के साथ। इस मौके पर मंच के कई सदस्य मौजूद रहे।

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