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कैदियों-बंदियों के परिजनों और आश्रितों को मिलेगा उनके अधिकारों को पूरा लाभ : सीजेएम

जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के सचिव एवं मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी डॉ. अशोक कुमार ने कहा कि कैदियों एवं बंदियों के परिजनों व आश्रितों को उनके अधिकारों का पूरा लाभ दिलवाने के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा एक विशेष कार्यक्रम चलाया जा रहा है

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 May 2019 10:33 AM (IST)Updated: Fri, 17 May 2019 10:33 AM (IST)
कैदियों-बंदियों के परिजनों और आश्रितों को मिलेगा उनके अधिकारों को पूरा लाभ : सीजेएम
कैदियों-बंदियों के परिजनों और आश्रितों को मिलेगा उनके अधिकारों को पूरा लाभ : सीजेएम

जागरण संवाददाता, जींद : जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के सचिव एवं मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी डॉ. अशोक कुमार ने कहा कि कैदियों एवं बंदियों के परिजनों व आश्रितों को उनके अधिकारों का पूरा लाभ दिलवाने के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा एक विशेष कार्यक्रम चलाया जा रहा है। कार्यक्रम के तहत सुधार गृहों में मौजूद कैदियों व बंदियों के परिजनों एवं आश्रितों का पूरा ब्यौरा इकट्ठा किया जाएगा, ताकि कोई भी व्यक्ति उनके अधिकारों से वंचित न रहे। डॉ. अशोक कुमार ने यह जानकारी बृहस्पतिवार को जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के पैनल में शामिल वकीलों से बातचीत करते हुए दी।

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उन्होंने कहा कि कैदियों व बंदियों के परिजनों व आश्रितों को उनके अधिकारों का पूरा लाभ दिलवाने के लिए यह अनूठा कार्यक्रम शुरू किया गया है। अभियान के तहत कैदियों व बंदियों के परिजनों व आश्रितों के नाम, पते व मोबाइल नंबर समेत तमाम प्रकार का आवश्यक ब्यौरा लिया जाएगा। यह कार्यक्रम दो चरणों में पूरा होगा। पहले चरण में इन लोगों का ब्यौरा लिया जाएगा व दूसरे चरण में लोगों की समस्याओं का समाधान करवाया जाएगा।

पहले चरण का कार्य लगभग पूरा हो गया है। 215 बंदियों व कैदियों के परिजनों का ब्यौरा दिया जा चुका है। जल्द ही बाकी रहे 95 बंदियों के परिजनों का भी ब्यौरा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम को शुरू करने का मुख्य उदेश्य बंदियों व कैदियों के बच्चों के शैक्षणिक व स्वास्थ्य के स्तर को उंचा उठाते हुए उन्हें सामाजिक व आर्थिक उत्पीड़न से पूर्ण रूप से मुक्त करवाकर उन्हें समाज की मुख्य धारा में शामिल करना है।

उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम का दूसरा उदेश्य उनके बुजुर्ग माता-पिता, पत्नी, बच्चों, भाई-बहनों तथा आश्रितों के भरण-पोषण का प्रबंध करवाया जाएगा। इसके लिए डीएलएसए के पैनल में शामिल 14 वकीलों की एक टीम भी गठित की गई है। यह टीम बंदियों व कैदियों के घर-घर जाकर उनके परिजनों व आश्रितों की समस्याओं का समाधान करवाने में सहायता करेगी।

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