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संत समाज में साधु वेश में घुसे डाकुओं का करेंगे बहिष्कार

सांघन गांव स्थित श्रृंगी ऋषि डेरे के महंत रामभज दास ने शहर के प्राचीन हनुमान मंदिर के महंत राघव दास शास्त्री को मारने के लिए बदमाशों को पांच लाख रुपये की सुपारी दी थी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Jul 2020 09:58 AM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 09:58 AM (IST)
संत समाज में साधु वेश में घुसे  डाकुओं का करेंगे बहिष्कार
संत समाज में साधु वेश में घुसे डाकुओं का करेंगे बहिष्कार

सुरेंद्र सैनी, कैथल : सांघन गांव स्थित श्रृंगी ऋषि डेरे के महंत रामभज दास ने शहर के प्राचीन हनुमान मंदिर के महंत राघव दास शास्त्री को मारने के लिए बदमाशों को पांच लाख रुपये की सुपारी दी थी।

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महंत राघव दास शास्त्री से जब इस बारे में बातचीत की तो उन्होंने हैरानी जताई। बोले संत-महात्माओं के वेश में लोग ऐसा भी कर सकते हैं, कभी सोचा नहीं था। भगवान हनुमान के घर बैठा हूं तभी तो जान बच गई और जिन्होंने साजिश रची वे खुद ही जाल में फंस गए।

धार्मिक स्थलों पर बदमाश लोग

गिद्द जैसी रखे हुए हैं दृष्टि

महंत राघव दास शास्त्री ने बताया कि धार्मिक स्थलों पर बदमाश लोग गिद्द जैसी दृष्टि रखे हुए हैं। ये भगवान के स्थल हैं, जो इन पर गलत नजर रखेगा, वे खुदबखुद मिट जाएगा। संत समाज में घुसे ऐसे डाकुओं को बेनकाब करने के लिए वे जल्द ही साधु-समाज को इकट्ठा करेंगे। रामभज दास के गुरु से भी जवाब मांगेंगे कि क्यों ऐसे बदमाशों को पालते हो?

रामभज दास और छविराम

दास को नहीं करते पसंद

महंत राघव दास शास्त्री ने बताया कि वे रामभज दास और छविराम दास में से किसी को भी पसंद नहीं करते। उन्हें ये आभास शुरू से था कि रामभज दास इस मंदिर की जमीन पर गलत नजर रखे हुए हैं, लेकिन यह भनक नहीं था कि वे उसकी हत्या की साजिश रच रहा है।

साधारण व्यक्ति को चेला बनाना नहीं है पसंद

राघव दास ने कहा कि रामभज दास का गुरु नौच वाला गुरु चरणदास है। वे उनसे भी कहता था कि साधारण व्यक्ति को चेला न बनाओ। जब भी वे भंडारे में जाता था तो रामभज दास से उनकी मुलाकात होती थी, लेकिन इसके चाल-चालन के कारण वे पसंद नहीं करता था। रही बात इस मंदिर की गद्दी की न तो रामभज और ही छविराम दास ले सकता है। आज तक उन्होंने कोई चेला भी नहीं बनाया है, क्योंकि ऐसा व्यक्ति आज तक मिल ही नहीं जो उसकी नजरों में ठीक हो। अनपढ़ लोग धार्मिक स्थलों को संभाले ये उन्हें पसंद नहीं हैं।

पहले भी रामभज दास ने किया गोलमाल

मंदिर की चौधरी पट्टी की करीब 40 एकड़ जमीन पर वे खेती करते हैं। मंदिर में रामभज दास का आना-जाना था, इसलिए एक दिन वे बोला कि खेती में उसका तजुर्बा है, इसलिए वे ज्यादा आमदनी इस बार खेत से कमाकर देखा। जब फसल बेची तो 50 मण की बजाय 25 मण प्रति एकड़ दिखाई। इस कारण यहां भी रामभज दास ने उसके साथ गोलमाल किया।

1970 में संभाली थी गद्दी

92 वर्षीय महंत राघव दास शस्त्री ने बताया कि काशी विश्वविद्यालय में वेदांत विभाग से वे गोल्ड मेडेलिस्ट है। गुरु राम मनोहर के शरीर छोड़ने के बाद उन्होंने यहां वर्ष 1970 में हनुमान मंदिर में गद्दी संभाली थी। पीएचडी पास राघव दास ने बताया कि रामभज दास का यहां मंदिर में आना-जाना था, लेकिन वे ज्यादा बात उससे नहीं करता था। हनुमान सेवा समिति के नाम से मंदिर की कमेटी है, इसी की देखरेख में कार्य होता है। हनुमान वाटिका और अन्य कुल जगह 25 एकड़, प्यौदा गांव के पास 18 एकड़ सहित अन्य जगह है। करोड़ों में डेरे की संपत्ति है, जिस पर कुछ मूर्ख लोग नजर रखे हुए हैं, लेकिन वे अपने इरादों में कभी कामयाब नहीं होंगे।


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