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टीक के पास पुल का निर्माण कार्य पूरा न होने पर प्राइवेट बस संचालकों ने किया प्रदर्शन

प्राइवेट बस संचालकों ने शुक्रवार को अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया और बसों के पहिये थाम दिए।

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Apr 2021 05:15 AM (IST)Updated: Sat, 24 Apr 2021 05:15 AM (IST)
टीक के पास पुल का निर्माण कार्य पूरा न होने पर प्राइवेट बस संचालकों ने किया प्रदर्शन
टीक के पास पुल का निर्माण कार्य पूरा न होने पर प्राइवेट बस संचालकों ने किया प्रदर्शन

संवाद सहयोगी, पूंडरी: प्राइवेट बस संचालकों ने शुक्रवार को अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया और बसों के पहिये थाम दिए। बस संचालकों का कहना है कि परिवहन विभाग के अधिकारी उन्हें जान-बूझकर तंग कर रहे हैं, जिसके चलते उन्हें ये कदम उठाना पड़ा। शुक्रवार को राजौंद से पिहोवा, पूंडरी से कुरुक्षेत्र और कैथल से निसिग रूटों पर चलने वाली बसें इसलिए रोक दी गई, क्योंकि कैथल से कुरुक्षेत्र के बीच चल रही सरकारी बसें प्राइवेट बसों के रूट की सवारियां उठा रही हैं, जिसके चलते उन्हें आर्थिक नुकसान सहना पड़ रहा है। बस संचालक अनिल ढुल, प्रवीण पाई, रणधीर फौजी, होशियार गोलन व मोनू बतान का कहना है कि कैथल से कुरुक्षेत्र रोड पर गांव टीक के पास पुल निर्माणाधीन होने के कारण पिछले करीब छह महीने से कुरुक्षेत्र से कैथल आने-जाने वाली सभी बसें वाया पूंडरी होकर आ रही हैं। जबकि विभागीय आदेश था कि जो भी सरकारी बस कुरुक्षेत्र से कैथल आती-जाती है। वह वाया पूंडरी होकर तो जाएगी, लेकिन बस स्टैंड पूंडरी के अंदर से सवारी नहीं लेगी। सरकारी बसें जीएम के निर्देशानुसार पूंडरी बस स्टैंड की सवारी ले रही हैं, जिससे उन्हें सवारी नहीं मिलती और उन्हें नुकसान हो रहा है। इस विषय को लेकर प्राइवेट बस संचालक डीसी से भी मिले थे और उन्होंने एक कमेटी बनाई थी। कमेटी के आदेश के अनुसार जो भी सरकारी बस कुरुक्षेत्र से कैथल आएंगी-जाएंगी, वे पूंडरी बस स्टैंड के अंदर प्रवेश नहीं करेंगी। उन्होंने इन आदेशों की कॉपी जीएम के पास भी पहुंचाई थी, लेकिन फिर भी सरकारी बस पूंडरी बस स्टैंड से सवारी ले रही हैं। जिस कारण प्राइवेट बस संचालकों में रोष है और उन्होंने इन तीन रूटों पर अपनी बसें रोककर जीएम कैथल के खिलाफ नारेबाजी कर रोष जताया। बाद में बस संचालकों का एक प्रतिनिधिमंडल ने डीसी को अपनी मांगों का ज्ञापन दिया। बस संचालकों का कहना है कि जब तक उनकी समस्या का समाधान नहीं होता, वे अपनी बसें नहीं चलाएंगे और अगला कदम उठाने को मजबूर होंगे।

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