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फसल अवशेष जलाने से फैलता है प्रदूषण: शशि वसुंधरा

एसडीएम शशि वसुंधरा ने कहा कि धान के अवशेष जलाने से जो प्रदूषण फैलता है और वह स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Oct 2020 06:27 AM (IST)Updated: Sun, 11 Oct 2020 06:27 AM (IST)
फसल अवशेष जलाने से फैलता  है प्रदूषण: शशि वसुंधरा
फसल अवशेष जलाने से फैलता है प्रदूषण: शशि वसुंधरा

संवाद सहयोगी, गुहला-चीका:

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एसडीएम शशि वसुंधरा ने कहा कि धान के अवशेष जलाने से जो प्रदूषण फैलता है, और वह स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। उन्होंने कहा कि इन दिनों धान की कटाई का सीजन जारी है और फसल कटाई के बाद किसान फसल के अवशेष को जलाने की बजाए खेत की मिट्टी में मिला दे, जिससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है। बचे हुए फसल अवशेष, पराली का प्रबंधन आधुनिक कृषि मशीनरी से करके भी लाभ कमा सकते है। कृषि विभाग द्वारा पराली के प्रबंधन के लिए कृषि मशीनों पर सब्सिडी दी जा रही है। उन्होंने बताया कि रेड जोन में आने वाली ग्राम पंचायतों को अच्छा कार्य करने पर पुरस्कृत किया जाएगा। पराली नहीं जलाने पर प्रथम पुरस्कार 10 लाख रुपये, द्वितीय पुरस्कार 5 लाख रुपये तथा तृतीय पुरस्कार तीन लाख रुपये पंचायत को दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष/फानों को आग न लगाई जाए, पराली में आग लगाने से होने वाले वायु प्रदूषण से सांस, फेफडों से संबंधित बीमारियां तो होती ही हैं, सामान्य स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। खेतों में आग लगाने से हवा में प्रदूषण के छोटे-छोटे कणों से पीएम 2.5 का स्तर अत्याधिक बढ़ जाता है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार पराली को जलाने से वायु प्रदूषण होता है, मिट्टी की जैविक गुणवत्ता प्रभावित होती है।


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