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हेपेटाइटस-सी को मात दे स्वस्थ हुए 6 हजार 564 मरीज

जिलेभर में हेपेटाइटस-सी (काला पीलिया) के 6 हजार 714 मरीजों का रजिस्ट्रेशन हैं इनमें से 6 हजार 564 मरीज अब तक ठीक हो गए हैं। अब 150 मरीजों का इलाज चल रहा है। वहीं हेपेटाइटस-बी के 146 मरीज अब तक सामने आए हैं। इनमें से 15 मरीजों का इलाज शुरू हो गया है अन्य मरीजों का इलाज शुरू करने के लिए प्रक्रिया जारी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 06:25 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 05:11 AM (IST)
हेपेटाइटस-सी को मात दे स्वस्थ हुए 6 हजार 564 मरीज
हेपेटाइटस-सी को मात दे स्वस्थ हुए 6 हजार 564 मरीज

सुरेंद्र सैनी, कैथल : जिलेभर में हेपेटाइटस-सी (काला पीलिया) के 6 हजार 714 मरीजों का रजिस्ट्रेशन हैं, इनमें से 6 हजार 564 मरीज अब तक ठीक हो गए हैं। अब 150 मरीजों का इलाज चल रहा है।

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वहीं, हेपेटाइटस-बी के 146 मरीज अब तक सामने आए हैं। इनमें से 15 मरीजों का इलाज शुरू हो गया है, अन्य मरीजों का इलाज शुरू करने के लिए प्रक्रिया जारी है। हेपेटाइटस-सी के रोजाना 10 से 12 मरीज सामने आ रहे हैं। इस महीने अब तक 96 पॉजिटिव मरीज मिल चुके हैं।

जिलेभर में हेपेटाइटस-सी के मरीजों का आंकड़ा 10 हजार से भी ज्यादा है, लेकिन अभी तक रजिस्ट्रेशन सात हजार से भी कम का हुआ है। इतनी बड़ी संख्या में मरीजों का ठीक होना सरकार की तरफ से जिला स्तर पर निशुल्क इलाज की सुविधा देना है। करीब चार-पांच साल पहले की बात करें तो इस महामारी का इलाज मुफ्त नहीं था। रोहतक या चंडीगढ़ पीजीआई मरीजों को इलाज के लिए आना-जाना पड़ता था। इस कारण मरीजों को काफी दिक्कत आती थी। जब से जिला स्तर पर यह सुविधा दी है, तब से मरीजों भी सामने आए हैं और इलाज भी हुआ है।

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कैथल के कई गांव में हर घर में मरीज

जिले में हेपेटाइटस-सी बीमारी के मरीजों की संख्या और जिलों की अपेक्षा ज्यादा है। कैथल के राजौंद और गुहला क्षेत्र में मरीज काफी संख्या में हैं। राजौंद के नीमवाला, रोहेड़ा सहित कई गांव तो ऐसे हैं जहां हर घर में मरीज है। कई घरों में तो पूरा परिवार ही इस बीमारी की चपेट में है। इसके अलावा कैथल ब्लॉक के कई गांव देवीगढ़, टीक सहित अन्य गांव में यह बीमारी तेजी से फैल रही है।

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सिविल अस्पताल में अलग से बनाई ओपीडी

जिला सिविल अस्पताल में हेपेटाइटस-सी को लेकर अलग से ओपीडी बनाई हुई है। छह दिनों तक यहां मरीजों की जांच और इलाज होता है। पहले बीमारी की जांच के लिए कूपन मिलते हैं, इसके बाद वायरस पता लगने पर इलाज शुरू किया जाता है। पहले इस बीमारी को लेकर दो डाक्टर नियुक्त किए गए थे। अब एक चिकित्सक को कोरोना महामारी में लगाया गया है, ऐसे में एक चिकित्सक ही अब छह दिनों तक ओपीडी देख रहा है। मरीजों का इलाज बेहतर ढंग से होने के कारण अब मरीजों की संख्या पिछले सालों की अपेक्षा कम हुई है।

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बीमारी से बचाव के तरीके

-हाथों को अच्छी तरह से साफ रखें।

-पक्का हुआ भोजन खाएं। पानी उबाल कर पीएं।

-रक्त उत्पादों का प्रयोग लाइसेंस प्राप्त रक्त बैंक से करें।

-सुई और रेजर ब्लेड सांझा न करें।

-सुरक्षित यौन संबंध सुनिश्चित करें और कंडोम का प्रयोग करें।

-बच्चे का जन्म होने के बाद तुरंत हेपेटाइटस-बी का टीका लगवाएं।

वर्जन : विभाग पूरी तरह से सतर्क

जिला सिविल सर्जन डा. ओमप्रकाश ने बताया कि हेपेटाइटस-सी को लेकर विभाग पूरी तरह से सतर्क है। सरकार के आदेशानुसार मरीजों का इलाज किया जा रहा है। हेपेटाइटस-सी के साथ-साथ बी का इलाज भी अस्पताल में होता है।


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