नर्स आशा बोलीं, मरीजों की जिदगी बचाना पहली प्राथमिकता
स्टाफ नर्स आशा शर्मा कोविड-19 के लिए बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में काम कर रही हैं। पिछले साल जब महामारी की शुरूआत हुई थी तभी से विभागीय अधिकारियों ने उनकी ड्यूटी संक्रमितों के इलाज में लगा दी।
जागरण संवाददाता, कैथल : स्टाफ नर्स आशा शर्मा कोविड-19 के लिए बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में काम कर रही हैं। पिछले साल जब महामारी की शुरूआत हुई थी तभी से विभागीय अधिकारियों ने उनकी ड्यूटी संक्रमितों के इलाज में लगा दी। अस्पताल में बनाए गए 71 बेडों के आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी कर रहीं नर्स आशा शर्मा बताती है कि परेशानियां तो इतनी है कि अगर लिस्ट बनाए तो छोटी पड़ जाती है। फिर भी एक ही ख्याल आता है की मरीज की जिदगी को कैसे बचाया जाए।
अब कोरोना महामारी का संक्रमण तेजी से बढ़ने के बाद मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। ऑक्सीजन का संकट आ खड़ा हुआ है। कोविड की पुष्टि होने के बाद अस्पताल में दाखिल होने वाला हर कोई मरीज व तीमारदार यही सोचते हैं की पहले उनका नंबर आ जाए। हमारे लिए सब बराबर हैं। चिकित्सक हो या स्टाफ नर्स वे सभी मरीजों के साथ एक जैसा व्यवहार रखते हैं। मरीजों की जिदगी को बचाना ही उनकी प्राथमिकता रहती है। कई मरीज तो चिकित्सक व कर्मचारियों पर भड़क जाते हैं। तीमारदार भी गुस्सा हो जाते हैं। ड्यूटी के दौरान सीनियर अधिकारियों का मार्गदर्शन मिल रहा है।
नर्स आशा बताती हैं कि एक साल से ज्यादा समय से कोविड की शिफ्ट वाइज ड्यूटी करती हैं। दिन में छह-छह घंटे तो रात को 12-12 घंटे ड्यूटी करनी पड़ती है।
ड्यूटी खत्म करने के बाद जब घर लौटती हैं तो एक से डेढ़ घंटे तक परिवार से दूरी बनाकर रखती हैं ताकि कहीं घर के लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में न आ जाएं। लोगों से भी अपील है कि कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण को कम करने के लिए एकजुटता दिखाएं। मास्क लगाएं। घर से बाहर तभी निकलें, जब जरूरी हो।