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चुनावों में किसी पार्टी का नहीं कर रहे प्रचार: योगेश्वर दत्त

ओलंपिक पदक एवं पद्मश्री विजेता अंतरराष्ट्रीय कुश्ती खिलाड़ी योगेश्वर दत्त ने कहा कि उनका किसी राजनीति दल में कोई लगाव नहीं है और वे किसी भी पार्टी का कोई प्रचार भी नहीं कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Apr 2019 10:27 AM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 10:27 AM (IST)
चुनावों में किसी पार्टी का नहीं  कर रहे प्रचार: योगेश्वर दत्त
चुनावों में किसी पार्टी का नहीं कर रहे प्रचार: योगेश्वर दत्त

सुनील जागड़ा, कैथल : ओलंपिक पदक एवं पद्मश्री विजेता अंतरराष्ट्रीय कुश्ती खिलाड़ी योगेश्वर दत्त ने कहा कि उनका किसी राजनीति दल में कोई लगाव नहीं है और वे किसी भी पार्टी का कोई प्रचार भी नहीं कर रहे हैं। अगर उन्हें चुनाव लड़ना है तो वे निर्दलीय भी लड़ सकते हैं। उनका हर वर्ग के लोगों के साथ मिलना रहता है। हालांकि अपने निजी कार्यों से उनका नेताओं से मिलना जुलना होता है। वे कैथल में आयोजित क्रीड़ा भारती के कार्यक्रम में भाग लेने से पहले मीडिया सेंटर में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।

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उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले वे मुख्यमंत्री से मिले थे, लेकिन वहां भी चुनावों को लेकर कोई खास बात नहीं हुई थी। हालांकि खिलाड़ियों को अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए एकजुट होना होगा। उसके लिए खिलाड़ियों को राजनीति में भी आना चाहिए ताकि अपनी मांगों को सरकार से मनवाया जा सके। इस मौके पर सुरेश गर्ग नौच, राज रमन, ओमेश, दलपत सिंह मौजूद थे।

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जो खेल का मजा मिट्टी में

आधुनिक संसाधनों में नहीं

योगेश्वर दत्त ने कहा कि गांव की मिट्टी से ही बेहतरीन खिलाड़ी निकलते हैं। आज खेलों में भी आधुनिक संसाधन हो गए हैं, लेकिन जो मजा मिट्टी में था वह उनमें नहीं है। एक खिलाड़ी को पहले खुद कठोर मेहनत करनी पड़ती है। जब वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करता है तो ही उसे सारी सुविधाएं मिल पाती हैं।

उन्होंने कहा कि दस साल पहले खेलों में अच्छे संसाधन नहीं थे। वे अपनी एकेडमी में आज 250 खिलाड़ियों को ट्रेनिग दे रहे हैं और उन्हें हर सुविधा दी जा रही है। कोई भी खिलाड़ी जिले का नहीं बल्कि पूरे देश का होता है। उन्होंने आठ साल की उम्र में खेलना शुरू किया था। 2012 में उन्होंने ओलंपिक में मेडल हासिल किया था।

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कोई भी खेल नीति पूरी नहीं हो पाती लागू

योगेश्वर दत्त ने कहा कि जब भी कोई खेल नीति बनती है तो वह सौ प्रतिशत लागू नहीं हो पाती। उसमें कुछ न कुछ कमियां रह जाती हैं। गांव में रहने वाले खिलाड़यिों को सुविधाएं कम मिलती हैं। इस मामले में सरकारों को जमीनी स्तर पर काम करने की ज्यादा जरूरत है। खिलाड़ियों के लिए पर्याप्त संख्या में कोच होने चाहिए ताकि वे खेलों में देश का नाम रोशन कर सकें।


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