52 साल से रामलीला का मंचन कर रहा नारायण दास मंच
बदलाव के लंबे दौर में निर्देशक तो नहीं रहे लेकिन रामलीला का मंचन जारी है। रामलीला ने भी अपना अवतार बदल लिया। आज मंच और रंग बिरंगी लाइटों का दौर है। जिस कारण हालात बहुत बदल चुके हैं। एक समय था जब सुविधाएं नहीं थी लेकिन दर्शक और कलाकारों की कमी नहीं थी।
जागरण संवाददाता, कैथल :
बदलाव के लंबे दौर में निर्देशक तो नहीं रहे, लेकिन रामलीला का मंचन जारी है। रामलीला ने भी अपना अवतार बदल लिया। आज मंच और रंग बिरंगी लाइटों का दौर है। जिस कारण हालात बहुत बदल चुके हैं। एक समय था जब सुविधाएं नहीं थी, लेकिन दर्शक और कलाकारों की कमी नहीं थी। आज सुविधाओं की तो कमी नहीं है, लेकिन दर्शक और कलाकार ढूंढने से ही मिलते हैं। जनता का साथ नहीं मिलने के कारण अब रामलीला का मंचन करने से भी कलाकार घबराते है। इन कलाकारों का मानना है कि यदि जनता रुचि लेकर रामलीला के मंचन के लिए सहयोग करे तो हालात बदलने में देर नहीं लगेगी।
आज के इस मोबाइल, कम्प्यूटर और टीवी के नए युग ने मंच के माध्यम से अपनी कला उकेरने वाले कलाकार लुप्त हो रहे है। इन्हें बचाने के लिए स्वयं लोगों को आना होगा, तभी यह प्रयास सफल हो पाएगा। इसी कड़ी में सीवन का बाबा नारायण दास रंगमंच क्लब पिछले 1968 से राम लीला का मंचन करता आ रहा है। इस रंगमंच पर कई ऐसे कलाकार है, जो पिछले कई वर्षाें से किरदार निभा रहे है।
चंदाना गेट स्थित श्री गणेश ड्रामाटिक क्लब के प्रधान ऋषिपाल गुप्ता ने बताया कि रामलीला का मंचन करने से न केवल आने वाली पीढि़यों को हमारे भारतीय संस्कृति की जानकारी मिलती है। बल्कि उसे अपने जीवन में उतारने की प्रेरणा भी मिलती है। इसलिए सरकार को भी हमारी संस्कृति को बचाए रखने के सरकार को भी ठोस कदम उठाने चाहिए। उन्हें भी रामलीला मंचन कर रहे है कलाकारों को प्रोत्साहित किया गया जाना चाहिए।