रेलवे ब्रिज पर लाइटें उतारकर दोबारा लगाना भूली नगर परिषद
नगर परिषद की ओर से दो साल पहले शहर के एकमात्र रेलवे ओवरब्रिज से लाइटें उतारी गई थी। ब्रिज पर लाइटें खराब हो गई थी जिसे ठीक करने के लिए उतारा गया था। दो साल बीत जाने के बाद ना तो लाइटों को ठीक किया गया और ना ही ब्रिज पर नई लाइटें लगाई गई। ब्रिज पर करीब 80 लाइटें लगाई हुई थी।
जागरण संवाददाता, कैथल : नगर परिषद की ओर से दो साल पहले शहर के एकमात्र रेलवे ओवरब्रिज से लाइटें उतारी गई थी। ब्रिज पर लाइटें खराब हो गई थी, जिसे ठीक करने के लिए उतारा गया था। दो साल बीत जाने के बाद ना तो लाइटों को ठीक किया गया और ना ही ब्रिज पर नई लाइटें लगाई गई। ब्रिज पर करीब 80 लाइटें लगाई हुई थी।
इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि नगर परिषद विकास कार्यों को लेकर कितना ध्यान देती है। ऐसा नहीं है कि नप अधिकारियों को इस समस्या के बारे में जानकारी ना हो। वार्ड 18 की पार्षद कई बार इस समस्या को लेकर शिकायत दे चुकी है, लेकिन दो साल बाद भी लाइटें लगने का इंतजार है। रात होते ही ब्रिज पर अंधेरा हो जाता है, जिस कारण कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है। बेसहारा पशु आकर बैठक जाते हैं। अंधेरे में पशु दिखाई नहीं देते, जिस कारण वाहन चालक चोटिल हो जाते हैं।
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पूरे शहर में बनी है समस्या
खराब लाइटों की समस्या पूरे शहर में है। वार्डों में भी करीब छह साल पहले लाइटें लगाई गई थी, जो अब खराब रहने लगी है। हर वार्ड में 30 से 40 लाइटें खराब रहती हैं। लाइटों को ठीक करने के लिए दिल्ली से सामान आता था, जो करीब पांच महीने से नहीं आ रहा है। हर वार्ड में पांच-पांच लाख रुपये की नई लाइटें लगाने का टेंडर लगाया गया था, जो ठंडे बस्ते में पड़ा है। वार्डों के पार्षद कई बार टेंडर प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए बोल चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
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नहीं हो रही सुनवाई
वार्ड नंबर 18 की पार्षद रेखा सिगला ने बताया कि रेलवे ओवरब्रिज की लाइटें दोबारा लगवाने को लेकर कई बार नप अधिकारियों से मिल चुकी हैं। कई बार लिखित में भी शिकायत दी जा चुकी है, लेकिन कोई समाधान नहीं हो रहा है। अब वार्ड के लोगों को एकत्रित करके डीसी से मिला जाएगा ताकि समस्या का समाधान हो सके।
वर्जन : समस्या का समाधान कराया जाएगा
नगर परिषद के एक्सईएन हिमांशु लाटका ने बताया कि रेलवे ओवरब्रिज की लाइटों को क्यों नहीं लगाया जा रहा है, इसके बारे में संबंधित कर्मचारियों से जानकारी ली जाएगी। जानकारी लेने के बाद नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी और समस्या का समाधान करवाया जाएगा।